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बच्चों पर दबाव ना डालें अभिभावक, कोचिंग में बनाएं तनावमुक्त माहौल

राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर पढ़ाई का माहौल तनाव मुक्त बनाने के निर्देश दिए।

कोटाAug 23, 2017 / 11:58 am

​Vineet singh

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राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने ली कोचिंग संस्थानों की बैठक।

राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायाधीश प्रकाश टाटिया ने पढ़ाई के माहौल को तनाव मुक्त बनाने के लिए कोचिंग संस्थानों और अभिभावकों से मुलाकात की। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वह बच्चों पर बेवजह दबाव डालने के बजाय उनकी रुचि के मुताबिक पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करें। वहीं कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों को कोचिंग में पढ़ाई का माहौल तनाव मुक्त बनाने के निर्देश दिए।
href="https://www.patrika.com/topic/kota/" target="_blank" rel="noopener">कोटा आए राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने सर्किट हाउस में अभिभावक और कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। सबसे पहले उन्होंने कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई के तरीके के बारे में जानकारी ली, कि कितने घंटे क्लास होती हैं और कितने घंटे मोटिवेशनल एक्टिविटीज कराई जाती हैं। वहीं अभिभावकों से बात कर बच्चों के डेली शिड्यूल की भी जानकारी ली।
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खुद ही बनाएं गाइड लाइन

न्यायाधीश प्रकाश टाटिया ने कोचिंग संस्थानों से कहा कि वह विद्यार्थियों को तनावमुक्त शैक्षणिक वातावरण प्रदान करें और अभिभावकों को भी बच्चों पर अनावश्यक दबाव ना बनाने दें। उन्होंने कोचिंग संस्थानों से अपनी गाइड लाइन खुद ही तैयार करने के लिए कहा। साथ ही निर्देश दिए कि वह इस गाइड लाइन की नियमित समीक्षा कर पढ़ाई का सकारात्मक माहौल तैयार करें।
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आत्महत्याओं पर होना पड़ेगा गंभीर

टाटिया ने कोचिंग छात्रों में आत्महत्या की प्रवृति बढ़ने से रोकने के लिए इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा कि कोचिंग संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वह क्लासरूम से लेकर हॉस्टल और पीजी के बीच कॉर्डिनेशन कर ऐसा माहौल तैयार करें कि बच्चे के अवसाद में जाने की स्थिति ही ना बने। इसके बाद भी जब किसी बच्चे को अवसाद में देखें या उसके व्यवहार में परिवर्तन नजर आए तो तत्काल काउंसिलंग कर समस्या का समाधान करें।
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फीस लौटाने की हो व्यवस्था

मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष ने कोचिंग संस्थान, हॉस्टल और पीजी प्रतिनिधियों के साथ-साथ अतरिक्त जिला कलक्टर प्रशासन सुनीता डागा को स्पष्ट निर्देश दिए कि यदि कोई छात्र किसी भी वजह से बीच में पढ़ाई छोड़कर जाना चाहता है तो उसकी फीस वापस लौटाने की व्यवस्था हर हाल में की जाए। फीस ना लौटाने की शिकायतें आने पर जिम्मेदार संस्थानों के खिलाफ आयोग सख्त कार्रवाई करेगा।

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