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Rajasthan Election 2023 : कांग्रेस का हाड़ौती अंचल में चुनावी अभियान का आगाज आज, ईआरसीपी के मुद्दे पर केंद्र को घेरने की तैयारी

Rajasthan Assembly Election 2023 : चंबल की धरा पर सियासी हलचल बढ़ने लगी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल चुनावी ताल ठोकने की तैयारी में हैं। कांग्रेस ईआरपीसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को हाड़ौती अंचल के बारां जिले से घेरने की तैयारी में है।

कोटाOct 16, 2023 / 07:53 am

Nupur Sharma

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कोटा। Rajasthan Assembly Election 2023 : चंबल की धरा पर सियासी हलचल बढ़ने लगी है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल चुनावी ताल ठोकने की तैयारी में हैं। कांग्रेस ईआरपीसी मुद्दे पर केंद्र सरकार को हाड़ौती अंचल के बारां जिले से घेरने की तैयारी में है। इस मुद्दे को लेकर सोमवार को कांग्रेस बारां में बड़ी सभा करने वाली है। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत प्रदेश के तमाम वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे।

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित बारां-अटरू विधानसभा सीट से चुनावी आगाज के कई राजनीतिक मायने हैं। कांग्रेस यहां दलितों के साथ आदिवासियों और किसानों को भी साधने की कोशिश में है। बारां में चुनावी सभा का असर हाड़ौती यानी कोटा संभाग की 17 विधानसभा सीटों पर पड़ेगा।

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ईआरसीपी का पहला बांध कोटा में
हाड़ौती के चारों जिले कृषि प्रधान हैं। हाड़ौती नदियों का संभाग कहा जाता है। यहां मध्यप्रदेश से बहकर नदियां चंबल नदी में मिलती हैं। सिंचाई की पर्याप्त सुविधा होने के कारण कई खाद्यान्न पैदा होते हैं। राजस्थान के 13 जिलों में सिंचाई और पेयजल के लिए प्रस्तावित पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना लागू नहीं होने से राज्य सरकार लगातार केंद्र पर हमला बोलती रही है। इस परियोजना का पहला बांध कोटा जिले में नौनेरा में बन रहा है।

इन जिलों के सरसब्ज होंगे सपने
परियोजना में कोटा, बारां, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक व कुछ जिलों को शामिल किया गया है। इससे कालीसिंध, पार्वती, मेज और चाकन उप बेसिनों में उपलब्ध अधिशेष मानसूनी पानी के उपयोग के लिए इसे बनास, गंभीरी, बाणगंगा के पानी की कमी वाले उप बेसिनों में मोड़कर चंबल बेसिन में पहुंचाया जाना प्रस्तावित है। इस परियोजना के तहत 11 नदियों को एक-दूसरे से जोड़ा जाएगा। केंद्र और राज्य सरकार की आपसी खींचतान के कारण यह योजना आगे नहीं बढ़ पाई है। कांग्रेस इस परियोजना को चुनावी मुद्दा बनाकर सोमवार को आमसभा के बाद जनजागरण यात्रा भी शुरू करेगी। यहां से यात्रा इन सभी जिलों में जाएगी। इन जिलों में उसकी गांवों में किसानों की सभाओं की भी योजना है।

बारां ही क्यों
कांग्रेस चुनावी आगाज बारां से ही करती है। 2013 में राहुल गांधी ने परवन सिंचाई परियोजना का शिलान्यास कर चुनावी आगाज किया था। राहुल गांधी सहरिया परिवार के घर गए थे। इसके बाद भी वे बारां ही जाते रहे। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कांग्रेस परम्परागत आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए इस क्षेत्र को चुनौती है।

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हाड़ौती का चुनावी गणित
यूं तो हाड़ौती को भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। वर्तमान में इस क्षेत्र की कुल 17 सीटों में से 10 पर भाजपा और 7 पर कांग्रेस विजयी रही है। 17 में से चार सीटें अनुसूचित जाति और एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है।

https://youtu.be/pQP7DfF_RUQ

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