दावा है कि राज्य भर की जिन जेलों में परिंदा भी पर नहीं मार सके, वहां भी कोरोना की दहशत है। सारी सुरक्षा व्यवस्था को धत्ता बता कर यह वायरस कहीं किसी कैदी पर ‘सवार’ हो कर जेल में नहीं पहुंच जाए। इससे बचाव की तैयारी की गई है। अक्सर जेल आने जाने वाले भी नई व्यवस्थाओं को फटी आंखों से देख रहे हैं। राज्य भर समेत कोटा के
केन्द्रीय कारागार में आने वाले हर नए कैदी को पूरी जांच पडताल के बाद ही अंदर प्रवेश दिया जा रहा है। यानी पूरी सेहत की जांच के बाद।
केन्द्रीय कारागार अधीक्षक सुमन मालीवाल के अनुसार कि अब जेल परिसर में दाखिल होने से पहले साबुन और
सेनेटाइजर से हाथ धुलवाए जा रहे हैं। यह व्यवस्था जेल के प्रहरियों अधिकारियों के साथ कैदियों के लिए भी की गई है।
नए कैदियों और मिलने वालों के लिए परिसर में ही पानी की टंकी रखी गई है जहां पहले प्रहरी साबुन से हाथ धुलवाते हैं, फिर तलाशी कक्ष में भी सेनेटाइजर ओर मास्क देकर ही जेल में प्रवेश दिया जा रहा है यही नही जेल के मुख्य गेट के पास ही नर्सिग स्टॉफ तैनात किया गया है जो हर आने वाले की जांच करने के बाद ही दाखिल किया जा रहा है।
खांसी जुकाम पीडित की अलग बैरक, लगा रहे मास्कजेल में अंदर का नजारा भी बदला-बदला सा है। जिन कैदियों को
खांसी जुकाम है। उन्हें बाकी कैदियों से अलग बैरक में रखा जा रहा है। मास्क लगाने को कहा गया है ताकि वे दूसरे कैदियों को संक्रमित नहीं कर सकें।
जेल महानिदेशक के आदेश के बाद कोटा जेल प्रशासन ने जेल के नर्सिग स्टॉफ को कोरोना वायरस से बचाव ओर जागरूकता के लिए स्वास्थ्य विभाग से विशेष प्रशिक्षण भी दिलवाया है वही जेल प्रशासन ने पुलिस द्वारा जेल लाए जाने वाले बंदियों के मेडिकल रिपोर्ट के साथ खांसी जुकाम की जांच भी करवाकर लाने के लिए कहा है ।
कोटा जेल बंदियों की तादाद को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहा है कई बार क्षमता से दुगुने केदियो की यहॉ तादाद रही है फिलहाल एक हजार बंदियों की क्षमता वाले इस जेल में 1700 बंदी है। जिनको कोरोना के बारे में समय समय पर जेलवाणी द्वारा जागरूकता का संदेश दिया जा रहा है सभी बंदियों को एक साथ इकठ्ठा होने पर पांबदी लगा दी गई।