राजस्थान के इस बड़े हॉस्पटल के आईसीयू में नहीं मिला वेन्टिलेटर, मरीज की मौत
… तो डॉक्टरों को नहीं थी जानकारी मेडिसिन आईसीयू के चिकित्सकों से जब बात की गई तो पता चला कि विभाग में 9 वेंटीलेटर है। इनमें से 4 खराब है। जिन्हें ठीक कराने के लिए आईसीयू प्रभारी ने अधीक्षक व प्रिंसीपल को कई बार पत्र लिखे हैं। एक वेंटीलेटर तो पिछले दो महीने से खराब पड़ा है। गत वर्ष चार नए वेंटीलेटर खरीदे थे। उनमें से दो अन्य मरीजों को लगा दिए। शेष बचे दो में से एक शनिवार को भर्ती कराई युवती को लगाया गया था और एक की किसी को याद ही नहीं रही। युवती को लगा हुआ वेंटीलेटर तकनीकी कारणों से काम नहीं आ पाया, लेकिन अतिरिक्त वेंटीलेटर रखे होने की जानकारी किसी को नहीं थी।
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मौत के बाद याद आई जांच मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरीश वर्मा का कहना है कि स्वाइन फ्लू व डेंगू जैसी बीमारियों के मामलों में कई बार हॉस्पिटल अधीक्षकों की बैठकें ली। इनमें खराब वेंटीलेटरों का मामला भी उठा। बावजूद इसके कोई सुधार नहीं हुआ। हर बार जल्द ठीक करवाने का आश्वासन ही मिलता रहा। वेंटीलेटर होने के बावजूद नहीं लगाया तो जांच करवाएंगे। जबकि एमबीएस हॉस्पिटल के अधीक्षक पीके तिवारी का कहना है कि आईसीयू विभाग के प्रभारी को 20 बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन खराब वेंटीलेटरों को ठीक नहीं कराया गया। युवती की मौत के बाद दूसरे दिन आईसीयू का दौरा किया गया। उन्होंने बताया कि वेंटीलेटर सही है। मेजर प्रॉब्लम्स है तो दिखवाएंगे।
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आपस में ही भिड़े जिम्मेदार मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. निर्मल शर्मा का कहना है कि वेंटीलेटर लगाने का काम हमारे विभाग का नहीं हैं। इसके बावजूद हमें जदरदस्ती थौंप रखा है। वेंटीलेटर लगाने की जिम्मेदारी एनेथेसिया विभाग की है। वहीं एनेथेसिया विभागाध्यक्ष एससी दुलारा का कहना है कि मेडिसिन विभाग का आईसीयू है। उन्हीं के उपकरण है। सारा सेटअप उनका है, तो हमारा इसमें रोल कैसे। जबरदस्ती टोपी पहनाने का काम किया जा रहा है। फिर भी यदि मेडिसिन विभाग हमें आईसीयू सौंपता है तो हम उसे भी चला लेंगे।