मंगलवार को विभाग के अधिकारियों ने जयपुर व रणथम्भौर से विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलवा लिया था। बुधवार से ही बाघिन को ट्रंकोलाइज करने का प्रयास किया जा रहा था। गुरुवार को ट्रंकोलाइज करने में चिकित्कों ने सफलता अर्जित की। सुबह 8.24 बजे बाघिन को ट्रंकोलाइज किया गया। इस दौरान मुख्य वन संरक्षक एवं क्षेत्र निदेशक एसआर यादव, एनटीसीए के प्रनितिधि दौलतसिंह, सहायक वन संरक्षक संबंधित क्षेत्रीय वन अधिकारी अपनी टीम के साथ उपस्थित रहे।
चिकित्सा अधिकारियों के अनुसार बाघिन के अगले बाएं कंधे का मांस फट जाने व अगले पंजे के ऊपर छोटा घाव है। वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारियों के दल की रायअनुसार इसे सघन निगरानी में रखने के लिए सॉफ्ट एनक्लोजर में शिफ्ट किया गया। बाघिन के रक्त के नमूने भी चिकित्सकों ने लिए है। इनकी जांच करवाई जाएगी। मॉनिटरिंग के लिए वरिष्ठ पशु चिकित्सक को नियुक्त किया है।
रेडियो कॉलर बदला
स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद बाघिन को नया रेडियो कॉलर भी लगाया गया है। पूर्व में लगा रेडियो कॉलर गत दिनों से काम नहीं कर रहा था। इससे मॉनिटरिंग में काफी समस्या आ रही थी।