href="https://www.patrika.com/topic/kota/" target="_blank" rel="noopener">कोटा के भीमगंज मंडी थाने के सामने स्थित पार्क में राहगीरों ने जब ये नजारा देखा तो कलेजा मुंह को आ गया। पूछने पर पता चला कि दोनों मासूमों को उनकी मां यूं ही दिन भर रस्सियों से बांध कर तड़पने के लिए छोड़ जाती है और बच्चे दिन भर भूख और दर्द से छटपटाते रहते हैं। शाम को जब मां आती है तभी रस्सियां खोलती है। बच्चों को बिलखता देख वहां मौजूद लोगों से रहा नहीं गया तो उन्होंने चाइल्ड लाइन की टीम को सूचना दे दी। जब टीम के सदस्य पार्क में पहुंचे तो बच्चों की हालत देखकर सहम गए।
चाइल्ड लाइन ने बच्चों को कराया मुक्त चाइल्ड लाइन केन्द्र समन्वयक भूपेन्द्र गुर्जर ने तत्काल भीमगंजमण्ड़ी थाने के उप निरीक्षक विजय बहादुर को मौके पर बुलाया। पुलिस के आने के बाद टीम ने दोनों मासूम बच्चों की रस्सियां खोली और कपड़े से ढ़का। बच्चों की हालत ज्यादा खराब ना हो इसलिए मौके पर ही चिकित्सक को बुलाकर स्वास्थ्य जांच भी कराई गई। इसके बाद चाइल्ड लाइन की टीम ने दोनों मासूमों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। जहां से उन्हें राजकीय शिशु गृह में आश्रय दिलाने के लिए भेज दिया गया।
भीख मांगने जाती थी मां रस्सियों से बंधे बच्चों को मुक्त कराने के दौरान उनकी मां भी मौके पर पहुंच गई। पुलिस ने जब उससे पूछताछ की तो सभी की आंखें छलक उठीं। महिला ने बताया कि उसका नाम बबिता है और बच्चों के जन्म से पहले ही उसका पति उसे छोड़कर चला गया।
जयपुर के एक सरकारी अस्पताल में जैसे-तैस बच्चों को जन्म दिया, लेकिन बच्चों को जन्म देने के बाद मजदूरी छूट गई। अपने शहर में भीख नहीं मांग सकती थी इसलिए कुछ दिनों पहले ही वह कोटा आई और स्टेशन पर भीख मांगकर बच्चों और अपना पेट भरने लगी। जब वह भीख मांगने जाती तो बच्चों को पार्क में छोड़ जाती। बच्चे कहीं चले ना जाएं इसलिए उनके पैर रस्सियों से बांध देती।