विश्वभर में प्रसिद्ध कोटा की 1100 साल पुरानी विरासत बर्बाद, दोबारा असंभव है ऐसा विलक्षण निर्माण
सबसे पहले करते डॉक्यूमेंटशन प्रथम चरण में काम शुरू करने से पहले मठ में मौजूद पुरा संपदाओं का लिखित रिकॉर्ड तैयार करने के साथ ही उनकी फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करानी चाहिए थी। दूसरे चरण में मु य शिव मंदिर की लाइन ड्राइंग तैयार की जानी चाहिए थी और तीसरे चरण में सभामंडप के पत्थर एक-एक कर नीचे उतारे जाते। इन पत्थरों को उतारते समय भी जिस दिशा का पत्थर है उस दिशा और उतारने के क्रम के अनुसार नंबरिंग कर उसी दिशा में रखा जाना चाहिए था।हाथ पर हाथ धरे बैठा रह गया पुरातत्व विभाग, चोरी हो गई 1100 साल पुरानी मूर्तियां
इतना ही नहीं साउथ का पत्थर उतारते समय उस पर एस-1, नॉर्थ में एन-1, वेस्ट में डब्ल्यू-1 और ईस्ट में ई-1 आदि क्रमानुसार अमिट स्याही से नंबर भी डालना बेहद जरूरी था। यूं सुधार सकते हैं गलती मोह मद केके कहते हैं कि जो गलती हो चुकी है उसे भुलाया तो नहीं जा सकता, लेकिन सुधारा जरूर जा सकता है। इसके लिए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि वह मठ के पुराने फोटो इकट्ठा करें और उन्हें देखकर निर्माण की बारीकिया समझें और पत्थरों के लगाने का क्रम तय करें।कोटा के प्राचीन शिव मंदिर में तबाही, सदियों पुरानी मूर्तियां तोड़ी…देखिए तस्वीरों में
इसके लिए बेहद गंभीर और प्रशिक्षित लोगों को साथ में लेना होगा, ताकि मंदिर को मूल स्वरूप में वापस लाने की कोशिश की जा सके। हालांकि यह बेहद मुश्किल और लंबे समय तक चलने वाला काम होगा।