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सबसे पहले दादाबाड़ी क्षेत्र पहुंचे, जहां सामने से जेसीबी आती नजर आई। महापौर उसे रोककर पूछताछ कर ही रहे थे कि जेसीबी का टायर फट गया। महापौर को जेसीबी के साथ एक ही डम्पर नजर आया, जबकि प्रत्येक सेक्टर को दो डम्पर आवंटित किए गए हैं। जेसीबी चालक ने बताया कि दूसरा डम्पर खराब है और वह एक जगह खड़ा है। महापौर तीनों स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ जेसीबी चालक की बताई जगह पहुंचे, लेकिन वहां कोई डम्पर नहीं मिला।
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ऐसे होती है गड़बड़ी विज्ञान नगर क्षेत्र में जेसीबी चालक ने बताया कि दोनों डम्पर कचरा लेकर करीब आधा घंटा पहले ट्रेंचिंग ग्राउण्ड रवाना हो चुके हैं। महापौर ने जेसीबी चालक से दोनों डम्परों के नंबर लिए और जांच के लिए ट्रेंचिंग ग्राउण्ड पहुंच गए। वहां करीब आधा घंटे तक इंतजार करने के बाद भी जेसीबी चालक द्वारा बताए गए नंबरों के दोनों डम्पर नहीं पहुंचे।
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ट्रेंचिंग ग्राउंड पर खड़े थे कंडम डम्पर महापौर ने बताया कि ट्रेंचिंग ग्राउंड पर संवेदक के तीन डम्पर कंडम हालत में खड़े थे। यहां तैनात कर्मचारी उनके बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके। वे यह भी नहीं बता सके कि यह डम्पर यहां क्यों खड़े हैं। महापौर ने तीनों डंपरों को वहां से हटाने के निर्देश देते हुए कहा कि इसकी भी जांच करवाई जाएगी कि इन तीनों डम्परों को शहर में कचरा ढो रहे डम्परों में तो नहीं गिना जा रहा। उन्होंने निरीक्षण के दौरान जेसीबी पर अनुबंधित वाहन नहीं लिखे होने पर भी आपत्ति जताई।
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भाजपा पार्षदों ने उठाया सवाल
गैराज समिति अध्यक्ष गोपालराम मण्डा व पार्षद विवेक राजवंशी ने बयान जारी कर कहा कि महापौर अपने चेहते ठेकेदारों की ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की भी जांच करते तो अच्छा रहता। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को कागजों में लगाकर भुगतान उठाया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि महापौर ने क्यों दोनों सफाई समिति अध्यक्षों को निरीक्षण से दूर रखा।
प्रतिपक्ष नेता अनिल सुवालका ने कहा कि महापौर जांच के नाम पर ठेकेदारों को बचा रहे हैं। कांग्रेस पार्षदों ने दो बार कचरा परिवहन के घालमेल को उजागर किया, लेकिन अभी तक एक भी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की सूची तक दी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।