जोशी ने सोमवार को जनसम्पर्क शुरू कर दिया है। जोशी ने कहा कि पार्टी यदि राज्यपाल बनाने का ऑफर दे तो भी नहीं बैठेंगे। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का फोन आए तो भी नहीं मानूंगा। पिछले चुनाव में खड़ा हुआ तो वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि अगले चुनाव में मौका देंगे, लेकिन रविवार को जारी की गई सूची में नाम नहीं देखकर चकित रह गया है।
1977 से पिछले लोकसभा चुनाव तक अपने बड़े भाई पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरिकृष्ण जोशी के लिए टिकट मांगा था, इस बार वह खुद चुनाव लड़ रहे हैं और चुनाव जीतेंगे। उन्होंने कहा कि अब राजनीति को कमाई का जरिया बना लिया है। पार्टी के पदाधिकारियों की कार्य शैली पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मेरे परिवार ने पार्टी के लिए बहुत काम किया है। क्षेत्र की जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है। जनता चाहती है कि वह चुनाव लड़े। इसलिए चुनावी रण में उतरने का फैसला किया है। गौरतलब है कि जोशी ने पिछले दिनों पार्टी की ओर से रणकपुर में दावेदारों के चयन को लेकर हुई फीडबैक बैठक में भी दावेदारी जताई थी। जोशी की बहू प्राची दीक्षित इस सीट से दावेदारी जता रही थी।