व्यापारियों ने बताया कि आजकल चायनीज कैमिकल की पुड़िया जिसमें ऑरेंज राइप (एथलीन रिपेनर) नाम का रसायन भरा होता है, जिसे आम भाषा में चायनीज कारपेट या चीनी की पुड़िया नाम से भी जानते हैं। यह पुड़िया 2 रुपए में मिलती है। टोकरी या कैरिट में आम, चीकू व पपीता भरकर उसमें एक या दो पुड़िया एथलीन रिपेनर की रख देते हैं। यह पुड़िया दो-तीन दिन में फलों को पका देती है। शहर में बिकने वाला फल व्यापारी डालपक कहकर बेचते हैं, जबकि यह कैमिकल से ही पके होते हैं।
व्यापारियों के अनुसार आजकल केले गोदामों में कैरेट में भरकर गोदाम में रख देते हैं और गोदाम का टेम्प्रेचर 17 से 18 मैंटेन रखा जाता है। इसके बाद गोदाम में रखे केले के कैरेटों पर एथलीन गैस का स्प्रे कर देते हैं। छोटे व्यापारी एथलीन रिपेनर नाम के रसायन से भी केले पका रहे हैं। व्यापारियों का कहना है कि रसायन से कोटा में ही नहीं पूरे देश मेें फल पकाए जा रहे हैं।
रसायनों का शरीर पर कई तरह से नुकसान होता है। जो पेट के जरिए दिमाग से लेकर शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकते हैं। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा भी पैदा होता है। फल हों या सब्जी, कुछ देर के लिए पानी में रखनी चाहिए। यह प्रक्रिया दो से तीन बार करें। इसके बाद ही इनका सेवन करें।
- डॉ. मनोज सलूजा, सीनियर फिजिशियन