scriptजब भी प्रेशर महसूस करें, अपनी मां से 10 मिनट बात जरूर करें : बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल विजेता पद्मभूषण अभिनव बिन्द्रा | Beijing Olympics Gold Medal Winner Padma Bhushan Abhinav Bindra Motivational Session In Kota Coaching City With Student | Patrika News
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जब भी प्रेशर महसूस करें, अपनी मां से 10 मिनट बात जरूर करें : बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल विजेता पद्मभूषण अभिनव बिन्द्रा

Abhinav Bindra: बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल विजेता पद्मभूषण अभिनव बिन्द्रा कोटा में स्टूडेंट्स से रूबरू हुए। उन्होंने स्टूडेंट्स से खुलकर संवाद किया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…।

कोटाDec 16, 2024 / 11:19 am

Ashish Joshi

Kota News: बीजिंग ओलंपिक में गोल्ड मेडल विजेता पद्मभूषण अभिनव बिन्द्रा रविवार को पहली बार कोटा आए। बिन्द्रा यहां विद्यार्थियों से रूबरू हुए। बीजिंग ओलंपिक-2008 में 10 मीटर राइफल शूटिंग में देश के लिए प्रथम व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बिन्द्रा ने कहा कि अपने घर से दूर यहां आकर इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों से मिलकर उन्हें बहुत अच्छा लगा। सभी विद्यार्थी अपना एक लक्ष्य लेकर कोटा आते हैं, यहां अच्छा कोच मिलने से उनको बड़ी सफलताएं मिलती हैं। उन्होंने एलन स्टूडेंट्स से खुलकर संवाद किया। पेश है बातचीत के मुख्य अंश…।

छात्र : आपने शूटिंग को ही कैरियर क्यों चुना?

बिंद्रा : 10-11 साल की उम्र तक मुझे स्पोर्ट्स से नफरत थी। स्कूल में फिजिकल एजुकेशन से दूर रहता था। बाद में एक कोच ने मेरे टैलेंट को परखा। उन्होंने गाइड किया। रोज हार्ड वर्क करना और प्रतिदिन अपना सर्वश्रेष्ठ करना मेरी आदत सी बन गई। शूटिंग कोच कर्नल ढिल्लन ने मुझे हारने के बाद जीतना सिखाया। आप भी जेईई या मेडिकल की तैयारी करें तो ईमानदारी से अपने लक्ष्य के लिए हार्ड वर्क करें। आपको कोई सफल होने से नहीं रोक सकता।

छात्र : आपने फैल्योर को कब महसूस किया?

बिंद्रा : सिडनी ओलंपिक में मैं 17 साल की उम्र में सबसे जूनियर था। फाइनल मुकाबले में शॉट बेकार हो गए, क्योंकि नीचे टाइल्स हिल रही थी। मैं नर्वस था। सबसे पहले मां से मिलकर रोया, लेकिन मां ने कहा, तुम मेरे बेटे हो, अब सिर्फ गोल्ड मेडल के लिए ही खेलना। भारत आकर मैंने हिलती हुई टाइल्स पर खूब प्रेक्टिस की। मेरा लक्ष्य सिर्फ गोल्ड मेडल था। बीजिंग ओलंपिक में 206 देशों के 10,500 एथलीट पहुंचे। प्रेशर बहुत था, लेकिन मुझे मां के बोल याद रहे। मैंने सांसों को नियंत्रित कर दिमाग को शांत रखा। फाइनल में 10 में से 10 शॉट सही खेलकर देश को गोल्ड मेडल दिलाया। आप जब भी प्रेशर महसूस करें, अपनी मां से 10 मिनट बात जरूर करें, इससे प्रेशर में जीना सीख लेंगे।
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छात्र : इतने कॉपिटिशन में हमें सक्सेस कैसे मिलेगी?

बिंद्रा : कोई भी प्रतिस्पर्धा आपको सक्सेस की ओर ही बढ़ाती है। कंफर्ट जोन से बाहर निकलें और अपने भीतर सफलता पाने की भूख जगाएं। प्रेशर के समय धैर्य, साहस और एकाग्रता रखें। कभी गलतियां हों तो उनसे सबक लेकर आगे बढ़ें। सेल्फ अवेयरनेस से ही आपका टैलेंट सामने आता है। कोच आपको गाइड करते हैं, आप हार्ड वर्क और रेगुलर प्रेक्टिस के साथ हर कॉपिटिशन में सक्सेस पा सकते हैं।

छात्र : ओलंपिक में भारत को इतने कम मेडल क्यों मिलते हैं?

बिंद्रा : अच्छा सवाल है, जरा गौर करें, इतनी बड़ी आबादी में खेलने वाले युवाओं की संया कितनी है। हमारी युवा आबादी स्पोर्ट्स को चुनेगी तो हम मेडल में आगे बढ़ेंगे। 2036 में अहमदाबाद में ओलंपिक होंगे। हमारे एथलीट इसके लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

छात्र : गोल्ड मेडल जीतने पर आपका अनुभव कैसा रहा?

बिंद्रा : कोई भी सफलता एक दिन की मेहनत से नहीं मिलती। मैंने 15 साल रेगुलर प्रेक्टिस की, हार्ड वर्क किया। अपने लक्ष्य को पाने के लिए आपका वातावरण, प्रतिस्पर्धा का लेवल, ट्रेनिंग मैथेडोलॉजी, पर्सनल मोटिवेशन बहुत महत्व रखता है। मैंने मां को याद करते हुए सांसें नियंत्रित कर सिर्फ उस समय के पलों पर फोकस किया, जिससे आत्मविश्वास बना रहा और देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने में सफल रहा।
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छात्र : नई चुनौतियों का मुकाबला हम कैसे करें?

बिंद्रा : मैंने हैप्पीनेस को अपने गोल यानी लक्ष्य से जोड़ लिया था। हारा या जीता, हर दिन खुश रहता था। रोज खुद से मुकाबला करता था। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्पोर्ट्स में भी कॉपिटिशन प्रेशर देता है। मैंनेे माइंड को संतुलित और सांस को नियंत्रित रखना सीखा। आप भी चुनौतियों से घबराएं नहीं। खुद का मुकाबला खुद से करते हुए आगे बढ़ते रहें। कोटा में अच्छे कोच आपको सफलता के बहुत करीब ले जाते हैं।

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