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लापरवाही : सुखाकर डंप करनी थी स्लरी, टैंकर ही उड़ेल डाले ! एनजीटी के आदेशों की उड़ाई खुलेआम धज्जियां

Patrika followup घडिय़ाल का रंग कर दे सफेद, वो जहर पहुंच रहा आपके शरीर में…

कोटाApr 27, 2019 / 10:00 pm

Suraksha Rajora

कोटा. पत्थर की घिसाई और कटाई के बाद पानी से स्लरी निकाल उसे सुखाकर ही डंपिंग यार्ड में डालने की शर्त पर एनजीटी ने कोटा के पत्थर कारखानों के संचालन से प्रतिबंध हटाया था, लेकिन ताले खुलते ही कारोबारियों ने सबसे पहले इसी शर्त को तोड़ा। नतीजा, कर्णेश्वर योजना लो लाइन एरिया के डंपिंग यार्ड में उड़ेले गए पानी के टैंकरों ने सालों तक न सूखने वाला दलदल खड़ा कर डाला।

रीको इंडस्ट्रीयल एरिया स्थिति Stone factories से निकलने वाली स्टोन स्लरी के प्रदूषण से जब चम्बल का पानी ही खराब नहीं हुआ घडिय़ालों के रंग तक सफेद पडऩे लगे तो राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की भोपाल बैंच ने अक्टूबर 2015 में पानी को दूषित करने वाली 267 इकाइयों पर 15 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाने के साथ ही पैसा जमा न कराने तक संचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था।
उद्यमियों की ओर से स्लरी को प्लांट में सुखाने के बाद ही डंपिंग यार्ड में भेजने का हलफनामा दायर करने के बाद ही एनजीटी ने जनवरी 2016 में इस प्रकरण को निस्तारित किया था, लेकिन इसके बाद महज पांच फीसदी पत्थर कारखाना मालिक ही स्लरी से पानी अलग करने और recycling कर उसे दोबारा पत्थर की घिसाई में इस्तेमाल करने के वायदे पर टिक सके।
लिक्विड Slurry ही कर रहे डंप
एनजीटी की शर्त के मुताबिक जिन कारखानों में पर्याप्त जगह थी उन्होंने बड़े हौज बनाकर पानी सुखाने का इंतजाम कर दिया। वहीं कुछ बड़े कारखाना मालिकों ने स्लरी से पानी रिसाइकल करने वाले प्लांट लगा दिए, लेकिन छोटे कारखाने स्लरी से पानी अलग करने का कोई इंतजाम नहीं कर सके। नतीजन, 90 फीसदी कारखानों से पत्थर की घिसाई के बाद स्लरी और पूरा पानी टैंकरों में भरकर कर्णेश्वर योजना लो लाइन एरिया के डंपिंग यार्ड में डंप किया जाने लगा।
भयावह हुआ दलदल
रोजाना औसतन सौ टेंकर यहां डंप किए जा रहे हैं। नतीजन, तीन सालों में 30-40 फीट गहरे गड्ढे में ऐसा दलदल खड़ा हो गया जो महीनों पहले पूरी तरह भरने के बाद भी सूखने का नाम नहीं ले रहा। हाड़ौती कोटा स्टोन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के संरक्षक विकास जोशी बताते हैं कि इसी दलदल के चलते यूआईटी की स्लरी के ऊपर मिट्टी डलवाने की शर्त पूरी नहीं कर पा रहे। ऐसे में यदि यूआईटी यहां कोई आवासीय योजना लाती है तो उसकी नींव कितनी मजबूत होगी इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।
एनजीटी तक पहुंची शिकायत
पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाओं ने डंपिंग यार्ड से दूषित पानी के रिसकर ग्राउंड वाटर में मिलने की आशंका जताते हुए एनजीटी को उसके आदेशों की अवहेलना और जल प्रदूषण की शिकायत की है। उन्होंने इस इलाके में फ्लोराइड बढऩे की आशंका जताई है। वहीं स्थानीय लोगों ने भी न्यास और निगम के साथ एनजीटी को लिखित शिकायत भेजी है।

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