उदघाटन से पहले ही सोशल मीडिया पर छाई हैंगिंग ब्रिज की खूबसूरती।
हैंगिंग ब्रिज की निर्माणगाथा का सफर ईस्ट वेस्ट कॉरिडोर परियोजना के तहत जब 26 किमी लम्बे बाइपास पर चम्बल नदी पर केबल स्टे ब्रिज बनाना तय हुआ तो इसे 40 माह में पूरा करने का लक्ष्य था। निर्माण कंपनियों के संयुक्त उपक्रम के साथ 2006 में कॉन्टे्रक्ट होने के बाद निर्माण शुरू होने की तिथि से मार्च 2010 तक इसे पूरा किया जाना था। चम्बल नदी पर निर्माणाधीन पुल गिरने से एक पल में दो साल का कार्य जमींदोज हो गया। इसके बाद निर्माण कंपनियों ने कार्य बंद कर दिया।हैंगिंग ब्रिज पर लगाया सेल्फियों का अम्बार। देखिए तस्वीरें
7 सांसदों ने निर्माण शुरू करने का आग्रह किया मई 2014 तक पुल निर्माण का कार्य रुका रहा। इस दौरान केन्द्र और राज्य में सरकारें बदल गई। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के एक सप्ताह बाद ही 21 मई 2014 को सांसद ओम बिरला की पहल पर सांसद दुष्यंत सिंह, सी.पी. जोशी और सी.आर. चौधरी सहित राजस्थान के 7 सांसदों ने दिल्ली में एनएचएआई के चेयरमैन आर.पी सिंह से मिलकर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण कार्य अविलम्ब शुरू करने का आग्रह किया। इसके बाद एनएचएआई चेयरमैन एवं निर्माण कम्पनियों के साथ वार्ता शुरू हुई।जानलेवा कारखानों के बीच चल रहें हॉस्टल्स, कैसे सुरक्षित रहेंगे विद्यार्थी
चेयरमैन ने सुझाए दो रास्ते ब्रिज के संदर्भ में चेयरमैन ने कहा कि अब दो ही रास्ते हैं, पहला निर्माण कम्पनियों को ब्लैक लिस्टेड कर नए सिरे से निविदाएं आमंत्रित कर कार्य शुरू करवाया जाए। दूसरा यह कि फिर इन्हीं कंपनियों से कार्य कराया जाए। सांसद बिरला ने कहा, निर्माण कार्य कर रही कम्पनियों से ही कार्य करवाया जाए, क्योंकि दोबारा निविदा प्रक्रिया में दो साल का समय लग जाएगाए इससे निर्माण लागत भी बढ़ेगी। वार्ता में एनएचएआई के चेयरमैन के प्रयासों से गेमन इंडिया एवं हुण्डई कम्पनी निर्माण करने के लिए सहमत हुई। इसके बाद बाद जून 2014 में निर्माण पुन: शुरू हुआ।अब स्कूलों में होगी जासूसी, कौन है जासूस? जानिए इस खबर में
सफर की झलकियां 7 नवम्बर 2006 को निर्माण कंपनियों के साथ कॉन्ट्रेक्ट हुआ। 5 दिसम्बर 2007 को निर्माण कंपनियों को साइट उपलब्ध हुई।6 मार्च 2010 तक पूरा करना था निर्माण। 40 माह में पूरा होना था निर्माण। जून 2017 में पूरा हो सका कार्य। सात राज्यों से जोड़ेगा हैंगिंग ब्रिज। हैंगिंग ब्रिज को बनाने में 48 जनों को अपनी जान गवानी पड़ी।