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लाेगों के घर बनाने का सपना कहीं रह न जाए अधूरा, भारत के विकास पर भी लगा ब्रेक

सुल्तानपुर. कस्बे समेत क्षेत्र में बजरी नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य बंद पड़े है। बजरी की रोक ने विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है।

कोटाFeb 04, 2018 / 12:07 pm

Anil Sharma

kota

सुल्तानपुर. कस्बे समेत क्षेत्र में बजरी नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य बंद पड़े है। बजरी की रोक ने विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है।

सुल्तानपुर.

कस्बे समेत क्षेत्र में बजरी नहीं मिलने के कारण निर्माण कार्य बंद पड़े है। बजरी की रोक ने विकास की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। सरकारी और निजी निर्माण कार्य रुके पड़े हैं। इसे लेकर न केवल सरकारी अफसर परेशान हैं बल्कि आम जनता को भी समस्याओं से दो-चार होना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही हाल सुल्तानपुर कस्बे के हाट चौक सौन्दर्यीकरण कार्य का हो रहा है। यहां पर गंदगी से अटे हाट चौक के विकास को लेकर लम्बे प्रयासों के बाद जैसे-तैसे नरेगा में राशि स्वीकृत हुई और कार्य शुरू हुआ, लेकिन कार्य 50 प्रतिशत भी पूर्ण हो पाता इससे पहले ही रेती की कमी ने काम बंद करवा दिया। हालात यह है कि विगत 1 माह से कस्बे में हाट चौक का कार्य बंद पड़ा है।
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सरकारी काम बाधित
सुप्रीम कोर्ट के बजरी खनन पर रोक के आदेश के बाद ठेकेदारों से लेकर निर्माण मजदूर तक परेशान है। रोक के बाद बजरी के दामों में हुई बढ़ोतरी के कारण निर्माण विभाग के ठेकेदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शुरुआत में ठेकेदारों ने पूर्व में जमा बजरी के स्टॉक के जरिए निर्माण कार्य शुरू तो कर दिए, लेकिन अब स्टॉक खत्म होने से व्यवस्थाएं लडख़ड़ा गई। हालात यह है कि केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना पर ब्रेक लग गया है। ऐसे में पंचायत समिति क्षेत्र के पात्र कई परिवार जो अपने घर बनने के सपने संजोए हुए थे। उनके सपनों पर भी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। इधर, पंचायती राज विभाग के आला अधिकारी भी सरकार द्वारा दिए टारगेट को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। शौचालय निर्माण का भी यही हाल है।

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ग्राम पंचायतों में भी कुछ ऐसे ही हाल
सुल्तानपुर ग्राम पंचायत समेत क्षेत्र की अन्य सभी ग्राम पंचायतों में भी कुछ ऐसे ही हाल है। सरपंच संघ सुल्तानपुर अध्यक्ष बजरंग लाल काका ने बताया कि सरकार विकास कार्यों के लिए राशि तो भिजवा रही है, लेकिन बजरी के अभाव में गांवों में विकास कार्य समय पर नहीं हो पा रहे। विकास कार्यों में सबसे बड़ी बाधा बजरी व गटका का नहीं मिलना है। उन्होंने कहा कि सरकारी कामों के लिए सरकार बजरी के ऊपर से प्रतिबंध हटाए या फिर गांवों की पंचायतों को बजरी उपलब्ध करवाए।
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3500 रुपए तक मिल रही ट्रॉली
हालांकि क्षेत्र में अमीरों के लिए बजरी व रेती की भी कमी नहीं है। जहां रेती व बजरी पर रोक होने के बावजूद कस्बे में बजरी आसानी से मिल रही है। कस्बे में कई निर्माण कार्यों के लिए रात के अंधेरे में ट्रॉलियों व डम्परों में रेती आ रही है जिसके बारे में सभी को पता है, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा। रोक के चलते रेत के दाम आसमान छू रहे हैं। हालात यह है कि 3500 रुपए तक में एक ट्रॉली बेची जा रही है।
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बजरी के कारण अटके काम
पंचायत समिति सुल्तानपुर विकास अधिकारी जगदीश प्रसाद मीणा का कहना है कि बजरी खनन पर रोक के बाद प्रधानमंत्री आवास योजना सहित सरकार की कई महत्वकांक्षी योजनाओं का काम बाधित हो गया है। कस्बे में लाखों रुपए की लागत से हाट चौक का सौन्दर्यीकरण निर्माण कार्य किया जा रहा है, लेकिन बजरी की कमी के कारण कार्य ठप पड़ा है। फिलहाल जिन्होंने पूर्व में बजरी का स्टॉक रखा था उनका काम चल रहा है।

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