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AICTE ने भी सरकारी फैसले को बताया अवैध मामला फंसता देख आरटीयू ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा। जिसके जवाब में एआईसीटीई ने सरकार के फैसले को अवैध करार देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने विशेष कारणों से देश के सिर्फ तीन संस्थानों पार्शवनाथ चैरेटेबल ट्रस्ट, तमिलनाडू इंजीनियरिंग कॉलेज और अन्ना यूनिवर्सिटी चेन्नई को ही 31 अगस्त तक एडमिशन प्रॉसिस जारी रखने की छूट दी है। आरटीयू को अपनी दाखिला प्रक्रिया 15 अगस्त तक ही खत्म करनी होगी, इसके बाद लिए गए दाखिले अवैध होंगे।
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कागजी कार्रवाई में भी चूके अफसर राजस्थान तकनीकी शिक्षा परिषद पर दाखिलों की आखिरी तारीख बढ़ाने का बहुत बड़ा दबाव था। इस दबाव के चलते कागजी खानापूर्ति करने में भी विभागीय अधिकारी चूक गए। दरअसल हुआ यह कि तकनीकी शिक्षा विभाग ने आरटीयू को एडमिशन की लास्ट डेट बढ़ाने का आदेश 21 अगस्त को ही जारी कर दिया। जबकि इसके लिए डिपार्टमेंट के लीगल एडवाइजर और एडीशनल चीफ सेक्रेटरी राजहंस उपाध्याय की मंजूरी अगले दिन यानि 22 अक्टूबर को ली गई। ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर ऐसा किसका दबाव था जो विभागीय अधिकारियों की मंजूरी लिए बिना ही विभाग ने आरटीयू को आदेश जारी कर दिया?
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हर साल होता है दाखिलों का खेल निजी कॉलेजों में दाखिलों की बैक डोर एंट्री हर साल होती है। निजी कॉलेज दाखिला देने के लिए हर हथकंडा अपनाते हैं। जो एडमिशन प्रक्रिया के तहत होते हैं उन्हें तय तारीख तक सार्वजनिक कर दिया जाता है और जिनमें कोई कमी होती है उन्हें इसी तरह के दबाव बनाकर मंजूरी दिलाई जाती है। पिछले साल भी झुंझनू के सूरजगढ़ स्थित कीस्टोन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट का मामला सामने आया था। संस्थान ने नोडल एजेंसी को जानकारी दिए बिना ही मैनेजमेंट कोटे से बड़ी संख्या में दाखिले दे दिए। अवैध तरीके से दिए गए इन दाखिलों को वैध बनाने के लिए राजस्थान तकनीकि शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव एमएस सोतिया ने आरटीयू को दो दिसंबर 2016 को पत्र जारी कर दिया। जिसमें इन छात्रों की परीक्षा कराने और नामांकन संख्या जारी करने का आदेश दिया गया था। एडमिशन सेल ने जब इस आदेश को मानने से इन्कार कर दिया तो मंत्रियों ने फोन करके आरटीयू प्रशासन पर दबाव डाला था।