ऐसा ही एक वाकया हुआ रविवार सुबह झालावाड़ रोड स्थित ईएसआई अस्पताल के सामने। जहां पर सड़क पार करते समय कैथून निवासी रामस्वरूप बेहोश हो गया था। जिसे देख राहगीरों की भीड़ जमा हो गई। सामने सेहृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. साकेत गोयल भी गुजर रहे थे। जिन्होंने भीड़ देख गाड़ी सड़क के एक ओर खड़ी कर पहुंचे तो लोग रामस्वरूप को अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे। डॉ. साकेत ने रामस्वरूप का चेकअप किया तो नब्ज थम चुकी व हर्ट की धड़कन थम चूकी थी। लेकिन उन्होंने तत्काल फेफड़ों की मसाज करना शुरू किया। करीब 4-5 मिनट तक मसाज करने के बाद रामस्वरूप के शरीर में कुछ हलचल हुई। थोड़ी देर बाद होश आया तो उसने अपना परिचय दिया।
सीपीआर से बचाए जा सकते है 80 फीसदी लोग डॉ साकेत गोयल ने बताया कि एक्सीडेंट या बेहोशी के केश में इंसान की नब्ज व दिल काम करना बंद कर देता है। जिसके फेफड़ों की तत्काल मसाज नहीं की तो मस्तिष्क में रक्त प्रवाह बंद हो जाता है। ऐसे में अगर अस्पताल लेजाने में 15-20 मिनट भी लग जाते है तो अस्पताल पहुंचते पहुंचते रोगी की मौत हो जाती है।
अगर व्यक्ति के बेहोश होते तत्काल 4-5 मिनट तक फेफड़े, दिल की मसाज कर दी जाए तो उसकी धड़कन, नब्ज काम करना शुरू कर देती है। ऐसे में 80 फीसदी लोगों की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए उनकी टीम द्वारा लोगों को डमी के माध्यम से फेफड़े, दिल की मसाज का प्रशिक्षण भी दिया जाता है।