Kota Dussehra 2022: मेले में 86 लाख के टेंडर को लेकर उठे सवाल, घालमेल पर पर्दा डालने का जतन
झूला संचालकों ने बताया कि वर्ष 2019 में इन 7 भूखण्डों की अलग-अलग बोली में नीलामी 2.50 लाख से 3.50 लाख रुपए तक में हुई थी। नीलामी छूटने पर संचालक को 10 प्रतिशत राशि एडवांस जमा करानी होती है। कई संचालकों ने तो अभी तक बकाया राशि जमा नहीं कराई। झूला संचालकों ने बताया कि यह सब मेला समिति व राजस्व समिति की मिलीभगत से हो रहा है। बकायादार संचालक अगले वर्ष दूसरे नाम से बोली लगा लेते हैं। ऐसे में पिछला बकाया भी जमा नहीं करवाना पड़ता।Video: भाजपा पार्षद ने सुपरवाइजर को पिलाया जबरदस्ती गंदा पानी
पिछला बकाया चल रहा फिर लगाएंगे झूलावर्ष 2019 में सात झूला संचालकों के सात भूखण्ड नीलामी से आवंटित किए गए थे, इनमें से तीन झूला संचालकों ने बोली छूटने के समय 10 प्रतिशत राशि जमा करवाई और मेला समाप्ति के बाद बकाया राशि जमा कराए बिना ही चले गए। इस बार भी यह झूला संचालक नीलामी प्रक्रिया में भाग ले रहे हैं।
Kota Mandi: मंडी में नए धान की आवक, भाव 2801 रुपए रहा
राजस्व समिति के किसी निर्णय का पता नहींराजस्व समिति चेयरमैन गफ्फार हुसैन ने बताया कि हर बार मेला समिति में राजस्व चेयरमैन को सदस्य बनाया जाता था, लेकिन इस बार राजस्व समिति, गैराज समिति, आपदा प्रबंधन समिति, विद्युत समिति, वित्त समिति, जल वितरण समिति, सफाई समिति, प्रचार प्रसार समिति सहित अन्य समितियों के अध्यक्षों को इस बार मेला समिति में शामिल नहीं कर किनारे पर खड़ा कर दिया। अभी तक जितनी भी मेले समिति की बैठक हुई, इन समितियों के अध्यक्षों को नहीं बुलाया गया। ऐसा क्यों किया यह तो जनप्रतिनिधि व निगम अधिकारी ही जानें, जबकि राजस्व समिति का काम मेले में सभी दुकानों के आवंटन सहित राशि वसूलने का होता है।