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बढ़ता जा रहा है आक्रोश
दरअसल, जन समस्याओं के समाधान में विफल रहे नगर निगम प्रशासन के खिलाफ पार्षदों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। निगम प्रशासन की कार्य शैली से खफा पार्षदों ने वित्त समिति की बैठक तक का बहिष्कार कर दिया था। इस कारण 8 फरवरी को होने वाली बोर्ड बैठक पर भी संकट के बादल छा गए। भाजपा बोर्ड की किरकिरी होते देखकर तथा पार्षदों के गुस्से को ठण्डा करने के लिए आनन-फानन में मंगलवार को पार्टी के शहर अध्यक्ष हेमंत विजयवर्गीय ने पार्षद दल की बैठक बुलाई। एकजुट रहने की नसीयत दी। इसके बाद वित्त समिति की बैठक हुई।
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‘जनता के बीच किस मुंह से जाएंगे’
बैठक में पार्षदों ने कहा कि निगम में अधिकारी सुनवाई नहीं करते। टेण्डर होने के बावजूद कार्यादेश में बहुत देरी होती है। सड़कें खराब पड़ी हैं, काम नहीं हो रहे। ओडीएफ कर दिया गया लेकिन शौचालयों का निर्माण नहीं हुआ। जनता परेशान है, अधिकारी बेलगाम। नाली-पटान तक नहीं बन रहे, चुनावी साल है, जनता के बीच किसी मुंह से जाएंगे। समितियों के अधिकारों को लेकर भी पार्षदों ने सवाल उठाया। कहा कि, अधिकारी मनमाने फैसले कर रहे, जिसकी जानकारी न तो पार्षदों को होती है और न ही महापौर को। महापौर महेश विजय ने निगम बोर्ड की उपलब्धियां गिनाईं।