पिछले सप्ताह ही प्रतापगढ़ नारकोटिक्स कार्यालय में पट्टों के बदले राशि लेने की बात स्वीकार करने पर एक कर्मचारी को सांसद सीपी जोशी ने थप्पड़ मार दिया था। वहीं झालावाड़ में रविवार को पट्टे जारी के बदले 60 हजार की रिश्वत लेते नारकोटिक्स के उप निरीक्षक और दो मुखियाओं को गिरफ्तार किया था। पट्टे जारी करने को लेकर किसी तरह मनमानी हो रही है, ये इन उदाहरणों से समझा जा सकता है।
मुखिया के भरोसे सारा काम
नारकोटिक्स विभाग और किसानों के बीच मुखिया कड़ी होता है। अधिकारी अपनी पसंद के किसान को ही मुखिया बनाते हैं और उन्हीं के माध्यम से बात करते हैं। ऐसे में किसान को हर काम के लिए मुखिया का मुंह ताकना पड़ता है। पट्टा वितरण, बुवाई, नपाई और तोल में महत्वपूर्ण भूमिका होने से अधिकांश किसान मुखिया से दबे होते हैं। कई बार शिकायत पर कागजों में मुखिया बदल दिया जाता है, लेकिन फील्ड में पुराना मुखिया ही कार्य करता है।
सरकारी शुल्क 100 रुपए केन्द्र सरकार ने अफीम की खेती के पट्टे के लिए आवेदन शुल्क 100 रुपए निर्धारित कर रखा है, लेकिन डिफाल्टर किसानों से पट्टे बहाल करने के एवज में तीस हजार से लेकर दो लाख रुपए तक वसूले जा रहे हैं।
भ्रष्टाचार रोकने के लिए सरकार को पट्टे जारी करने का कार्य ऑनलाइन कर देना चाहिए। साथ ही मुखिया व्यवस्था खत्म कर देना चाहिए। पट्टे के लिए कई किसानों से राशि मांगने की शिकायतें मिल रही है।
– बद्रीलाल तेली, प्रांतीय संयोजक अफीम किसान संघर्ष समिति
किसानों को पट्टे के लिए किसी को पैसे देने और परेशान होने की जरूरत नहीं है। जिन किसानों का सूची में नाम आ गया है, उन्हें तो पट्टे मिलेंगे ही। प्रतापगढ़ में सांसद के एक श्रमिक को थप्पड़ मारने के मामले में जांच कमेटी बनाई है।
– विकास जोशी, उप नारकोटिक्स आयुक्त