1997 में शुरू हुई वर्तमान में भामाशाह मंडी के नाम से जाने जाने वाले परिसर में जिन्सों की आवक 1997 में शुरू हुई थी। यानी, इसी साल एरोड्राम से धानमंडी यहां स्थानांतरित होकर आई थी। गुजरते सालों के बीच यहां आवक बढ़ती गई। अब हालत यह कि, रबी व खरीफ सीजन में विभिन्न कृषि जिंसों की बम्पर आवक के चलते यहां हर साल आए दिन जाम के हालात बनते हैं। ऐसे में मंडी प्रशासन ने मंडी परिसर व बारां-झालावाड़ फोर लेन के बीच की वन विभाग की 74 हैक्टेयर जमीन मंडी प्रशासन को स्थानांतरित करने की जिला प्रशासन से 2 साल पहले मांग की थी।
वन विभाग को दरा क्षेत्र में जमीन का प्रस्ताव मामला कृषि विपणन विभाग के उच्च अधिकारियों के माध्यम से सरकार तक भी पहुंचा। तभी कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी, जिला प्रशासन, कृषि विपणन विभाग के अधिकारियों ने जमीन का जायजा भी लिया। जगह तय कर वन विभाग से भूमि मंडी को स्थानांतरित करने का सरकार की ओर से प्रस्ताव भेजा गया। वन विभाग ने जमीन के बदले जमीन मांगी तो जिला प्रशासन ने कनवास तहसील में दरा क्षेत्र में जमीन देने का प्रस्ताव वन विभाग को दिया। वन विभाग से सकारात्मक सहयोग मिलने पर मंडी प्रशासन ने आगामी 40 साल की संभावनाओं को देखते हुए विस्तार के लिए अब 74 की बजाय 96 हैक्टेयर जमीन स्थानांतरण का प्रस्ताव तैयार कर वन विभाग को भेजा है।
मंडी सचिव डॉ. आरपी कुमावत का कहना है कि
भामाशाह मंडी के पास ही वन विभाग की 96 हैक्टेयर जमीन है। यह बंजर है, बड़े पेड़ नहीं हंै। सिर्फ कंटीली झाडिय़ां उगी हैं। इस जमीन में मंडी के विस्तार के लिए वन विभाग को पहले 74 हैक्टेयर का प्रस्ताव बनाकर भेजा था। अब संशोधित कर 96 हैक्टेयर जमीन का प्रस्ताव भेजा है।