ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी प्रहलाद राय ने पुलिस में 16 दिसम्बर 2016 को दर्ज कराए प्रकरण में बताया था कि प्रथम श्रेणी लिपिक गिरिराज वर्मा के पास करीब 800 शिक्षकों की कटौतियों का हिसाब-किताब था। लिपिक ने कटोतियों की राशि शिक्षकों के वेतन से काट ली, लेकिन संबंधित कार्यालयों में नहीं भेजी। इस राशि को अपने चहेतों के खातों में डलवा दी। फर्जी सूची बना व ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी के फर्जी हस्ताक्षर करके 76 लाख 26 हजार 267 रुपए की राशि 40 खातों में डलवा दी।
मैसेज नहीं आए तो पता चला घपला है : वेतन से कटौतियां होने के बाद मैसेज मोबाइल पर नहीं आए तो शिक्षकों ने ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी सहित उच्च अधिकारियों को इस मामले अवगत कराया। इसके बाद लिपिक की कारस्तानी की जांच के लिए शिक्षा विभाग ने टीम भेज दी। जांच दल ने सारे रिकार्ड खंगाले, बैंक में जाकर शिक्षकों के खातों को जांचा। ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से किसको कितना भुगतान हुआ इसकी सूची बनाई। सूची देख जांच दल के होश उड़ गए। महज 40 खातों में 76 लाख की राशि जमा होने पर बाबू संदेह के घेरे में आ गया। पुलिस में मामला दर्ज होने के बाद शिक्षा निदेशालय बीकानेर ने जांच के लिए पांच सदस्यी विशेष दल बनाया। महालेखा नियंत्रक
जयपुर इसके बाद जांच करने पहुंचा। वर्ष 2009 से 31 मार्च 17 तक के वाउचर खंगाले तो जांच में 2 करोड़ 29 लाख का गबन सामने आया। उधर बीकानेर शिक्षा निदेशालय की तरफ से मामले की जांच चार कर्मचारियों की तरफ से हुई। पिछले दिनों ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से उनकी रवानगी हो गई, लेकिन यह नहीं बताया कि जांच में कितने का गबन सामने आया। जानकार सूत्रों के अनुसार अभी जिन दो विभागीय कर्मचारियों के खाते में गबन की राशि स्थान्तरित हुई थी शिक्षा विभाग ने उनसे वेतन के माध्यम से कटौती चालू कर दी है, लेकिन ऐसी फर्म जिनके खाते में पांच से 45 लाख की रकम जमा हुई, उनसे वसूली की कार्यवाही नहीं हुई है।
कार जब्त की, लेकिन चालान पेश नहीं किया : वृत्त निरीक्षक मनोज सिंह सिकरवार का कहना है कि प्रकरण में एक कार को जब्त किया है। यह कार गबन की राशि से खरीदी गई थी। प्रकरण में चालान पेश नहीं हुआ है, मामले की जांच चल रही है।