काली रिबन बांध जताया विरोध इधर, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के सदस्यों ने सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल का समर्थन किया। कोटा संभाग से जुड़े करीब आठ सौ सदस्यों ने गुरुवार को काली रिबन बांधक विरोध जताया। आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ. जसवंत सिंह व सचिव डॉ. अमित यादव ने बताया कि प्रदेश में सेवारत चिकित्सक गत चार माह से आंदोलनरत हैं। सरकार सुध नहीं ले रही। उल्टे समझौते के बाद भी दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। इसके विरोध स्वरुप कोटा संभाग के सभी चिकित्सक प्रतिदिन काला रिबन बांधकर कार्य करेंगे। एसोसिएशन सदस्य शुक्रवार को सुबह 9 से 11 बजे तक पेनडाउन हड़ताल करेंगे। 25 दिसम्बर तक प्रतिदिन पेनडाउन हड़ताल करेंगे, इसमें रोजाना एक घंटे का समय बढ़ाया जाएगा।
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ध्यान रुटीन ऑपरेशन ठप, इमरजेंसी के 13 हुए सेवारत चिकित्सकों की हड़ताल के कारण ईएसआई अस्पताल खाली हो गया। 100 बेड के इस अस्पताल में मंगलवार तक 30 मरीज भर्ती थे, लेकिन गुरुवार तक 9 ही मरीज भर्ती रह गए। चिकित्सक नहीं होने के कारण शेष सभी मरीज छुट्टी करवा कर चले गए। अस्पताल प्रभारी डॉ. बीएल गोचर ने बताया कि अस्पताल में 17 चिकित्सक कार्यरत हैं। इनमें से 2 ही कार्य कर रहे हैं। एमबीएस, जेके लोन, मेडिकल कॉलेज अस्पताल व डिस्पेंसरियों में आउटडोर व इंडोर में मरीजों की संख्या कम हो गई है। जांचों की संख्या में भी कमी आ गई है। इमरजेंसी जांचें ही लिखी जा रही हैं। ऑपरेशन थियेटर प्रभारी एससी. दुलारा ने बताया कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 6, जेके लोन में 3 व एमबीएस अस्पताल में 4 इमरजेंसी केस ही हुए। रेजीडेंट्स के अभाव में रुटीन के ऑपरेशन ठप पड़े है।
गंभीर मरीज भी नहीं कर रहे भर्ती मेडिकल कॉलेज अस्पताल में रेजीडेंट्स के अभाव में एचओडी व चिकित्सक गंभीर मरीजों को भर्ती करने से भी कतराने लगे हैं। एेसा हाल गुरुवार को देखने को मिला। यहां मदनपुरा पंचायत की प्रकाशी बाई को सांस की तकलीफ होने पर परिजन उसे लेकर मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। उनकी गंभीर स्थिति थी। परिजन उन्हें भर्ती करवाना चाहते थे, लेकिन चिकित्सकों ने हड़ताल हड़ताल खत्म होने के बाद भर्ती करेंगे, तब आना। बाद में राजस्थान पत्रिका संवाददाता के दखल के बाद चिकित्सक बीएल बंशीवाल ने उन्हें भर्ती किया। उनका कहना था कि हमने परिजनों को भांप सेकने के लिए कहा था, मरीज को भर्ती करने से मना नहीं किया।
पुलिस ने कसा है शिकंजा सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश महासचिव दुर्गाशंकर सैनी ने बताया कि सेवारत चिकित्सक कार्यों पर जाना चाहते हैं, लेकिन सरकार द्वारा चिकित्सकों पर पुलिस शिकंजा कसा जा रहा है। सरकार दखल दे और मरीजों को राहत प्रदान करे। सरकार 2011 से पदोन्नत चिकित्सकों के मामले में भी समझौते के मुताबिक आदेश जारी करे।