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में मचा बवालक्रय-विक्रय के समय पूरी जानकारी होगी सामने
यूनिक आईडी बनने के बाद पशु की पहचान ऑनलाइन ही कर सकेंगे। पशु के खरीदने-बेचने के दौरान भी उसके और मालिक के बारे में जानकारी एक क्लिक पर सामने आ जाएगी। यदि किसी पशु की दुर्घटना हो जाती है, तो पशु के कान पर लगे टैग से पशु के मालिक का पता आसानी से चल सकेगा।
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जिले में प्रथम चरण में बनेंगे कार्ड जिले में प्रथम चरण में 50 हजार दूधारू पशुओं का ‘संजीवनी आधार कार्डÓ बनाया जाएगा। एक दिसम्बर से यह कार्ड बनाना शुरू कर दिया है। अभी तक करीब 2000 पशुओं का कार्ड बनाया जा चुका है। इसके लिए 132 क्रियाशील संस्थाएं पशुओं का डाटा फीड कर रही है। जिले में करीब एक लाख 25 हजार दूधारू गौवंश व भैंसवंश पशु है। जिलेभर में कुल पशुओं की संख्या करीब 7 लाख है।
यह जानकारी करनी होगी दर्ज योजना के तहत पहचान नंबर, आधार कार्ड पशु का (टैग नंबर), मालिक का नाम, पता, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, पशु की जाति, नस्ल, लिंग, उम्र, दूध उत्पादन क्षमता आदि की जानकारी अपलोड करनी होगी।
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यह होगा लाभ योजना के तहत कृत्रिम गर्भाधारण करने के समय पहले गौवंश व भैंस वंश के पहले नर व मादा कौनसा था। इसके पता चलेगा। साथ ही नस्ल की शुद्धता का भी पता चल पाएगा। इसके साथ ही गौ तस्करी पर भी रोक लग सकेगी। सभी पशुओं का कार्ड बनने के बाद शेष पशुओं की जानकारी भी आसानी से मिल सकेगी। पशु को खुला छोडऩे पर मालिक का पता लगाकर जुर्माना लगाया जाएगा। जिले में प्रथम चरण में 50 हजार पशुओं का कार्ड बनाया जाना है। योजना अभी शुरू हुई है। मार्च तक लक्ष्य पूरा हो जाएगा। इसके बाद कार्य गति पकड़ लेगा। यह कार्ड नि:शुल्क लगाए जा रहे हैं।