href="https://www.patrika.com/topic/kota/" target="_blank" rel="noopener">कोटा के कुलकर्णी मेमोरियल हॉल में रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करने के लिए रेलवे मजदूर संघ की ओर से गुरुवार को संरक्षा सेमिनार आयोजित किया गया। दिनों दिन बढ़ते जा रहे रेल हादसों की वजह बताते हुए मुख्य वक्ता नेशनल फेडेरशन ऑफ इंडियन रेलवे मैंस के राष्ट्रीय महासिचव डॉ. एम राघवैया ने कहा कि रेलवे के सिक्योरिटी केडर में लंबे समय से भर्तियां नहीं हुई हैं। दशकों पहले इस काम के लिए 2.70 लाख पद श्रजित किए गए थे। जिनमें से आधे यानि 1.60 लाख फिलहाल खाली पड़े हैं। जबकि इन बीते सालों में रेलवे का भार कई गुना बढ़ गया है। नतीजन रेलवे सुरक्षा से जुड़े एक कर्मचारी को 12 घंटे से ज्यादा ड्यूटी करनी पड़ रही है। वहीं लोको पायलेट तक को 10 घंटे से ज्यादा काम करना पड़ रहा है। जिससे काम पर इम्पेक्ट पड़ रहा है और हादसे हो रहे हैं।
व्यवस्थाएं सुधारने का किया दावा सेमिनार में मौजूद रेलवे के प्रधान मुख्य इंजीनियर एमबी विजय ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था को सुधारने का दावा किया। उन्होंने कहा कि स्मॉल ट्रेक मशीनों का पूरी तरह इस्तेमाल करने की जिम्मेदारी सुपरवाइजर को दी है। इसके अलावा ट्रेक मेन्टेनरों को पदोन्नति के अवसर बढ़ाने के लिए केडर को मर्ज किया गया है। मंडल प्रशिक्षण केन्द्र इंजीनियरिंग कोटा का स्थान सम्पूर्ण भारतीय रेल में दूसरे स्थान पर है। इसमें प्रशिक्षण के लिए प्रोजेक्ट, मॉडल, कम्प्यूटर और खेलने के साधन भी उपलब्ध कराए गए हैं। ट्रेक मेंटेनरों और ट्रेक की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। आपात स्थिति में ट्रेकमैन को बैनर लगाकर गाड़ी रोकने का अधिकार दिया गया है।
सिग्नल को पार करने से बढ़ी घटनाएं वहीं रेलवे के मुख्य संरक्षा अधिकारी राजेश अर्गल ने कहा कि सिग्नल खतरों को पार करने की घटनाएं बढ़ी हैं। जिस पर नि
यंत्रण करना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता एनएफआईआर के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आर.पी. भटनागर ने की। संरक्षा सेमिनार में ट्रेक संरक्षा से संबंधित 16 प्रस्तावों पर चर्चा की गई, जिन्हें सर्वसम्मति से पारित किया गया। मंडल अध्यक्ष जी.पी. यादव, मंडल सचिव एस.डी. धाकड़, संयुक्त महामंत्री अब्दुल खलिक सहित कई पदाधिकारियों ने भी सुझाव रखे।
यह निकला मंथन का नतीजा रेलवे सुरक्षा पर आयोजित सेमिनार में हुए मंथन से नतीजा निकाला गया कि रेलवे सुरक्षा से जुड़े खाली पदों को भरने की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जाए। इसके साथ ही रेलकर्मियों की ट्रेनिंग की गुणवत्ता को बढ़ाएं और दक्ष प्रशिक्षक उन्हें ट्रेनिंग दें। वहीं – गाडि़यों की संख्या और ट्रेक का विस्तार होने के अनुपात में पद सृजित हों। इसके साथ ही परिचालन से जुड़े कार्मिकों की ड्यूटी 12 घंटे की बजाय आठ घंटे की ही रखी जाए। इसके साथ ही ट्रेक के रखरखाव के लिए कम महत्व की गाडि़यों को रद्द करें और ब्लॉक लें। रेलवे मजदूर संघ के मंडल सचिव एसडी धाकड़ ने बताया कि संरक्षा सेमिनार में आए सुझावों की रिपोर्ट बनाकर रेलवे बोर्ड को भेजी जाएगी। इसके बाद क्रियान्वयन के लिए दवाब बनाया जाएगा।