यहां साढ़े 3 साल में बदल दिए गए 10 सीईओ, 11वें को बदलने शुरु हुआ राजनीतिक दाव-पेंच
CEO Transfer: छत्तीसगढ़ के इस जिले में राजनीति इतनी हावी है कि कि सीईओ को 20 दिन में ही करा देते हैं तबादला, 8 जनवरी 2019 से शुरु हुआ सिलसिला अब भी जारी, सीईओ (CEO) के बदलने से पंचायतों के काम हो रहे प्रभावित लेकिन नेताओं व जनप्रतिनिधियों को इससे कोई लेना-देना नहीं
बैकुंठपुर. CEO Transfer: जनपद बैकुंठपुर में कथित तौर पर राजनीति हावी होने के कारण साढ़े 3 साल में 10 जनपद सीईओ को बदल दिए गए हैं। वहीं 11वें सीईओ का तबादला करवाने दांव पेंच की रणनीति बनने लगी है। वर्तमान सीईओ को कुर्सी पर बैठे महज ढाई महीने ही हुए हैं लेकिन उन्हें नेता और जनप्रतिनिधि बदलना चाहते हैं। तबादले के लिए बैकुंठपुर जनपद अध्यक्ष सौभाग्यवती सिंह कुसरो, उपाध्यक्ष आशा साहू सहित जनपद सदस्य व सरपंच सीईओ का अन्यत्र तबादला (Transfer) कराने कलेक्टर के पास पहुंचे थे। साथ ही एक सप्ताह के भीतर जनपद सीईओ का तबादला नहीं करने पर जनप्रतिनिधि आंदोलन करेंगे।
कोरिया जिले के जनपद पंचायत बैकुंठपुर में 8 जनवरी 2019 से 2 मई 2022 तक कुल 10 जनपद सीईओ कार्य कर चुके हैं। यानी महज तीन साल पांच महीने में 10 जनपद सीईओ बदल दिए गए। वहीं २ मई 2022 से 11वां सीइओ कार्यरत हैं। इनसे महज ढाई महीने कार्य कराने के बाद जनपद अध्यक्ष सौभाग्यवती सिंह कुसरो, उपाध्यक्ष आशा साहू सहित जनपद सदस्य व सरपंच सीईओ का अन्यत्र तबादला कराने कलेक्टर दरबार तक पहुंचे थे।
साथ ही एक सप्ताह के भीतर जनपद सीईओ का तबादला (CEO transfer) नहीं करने पर जनप्रतिनिधि आंदोलन करेंगे। जनपद बैकुंठपुर कथित तौर पर राजनीति का अखाड़ा जैसा है। इसलिए मामले को ध्यान में रखकर कई बार डिप्टी कलेक्टर को जनपद सीइओ की कुर्सी पर बैठाया गया। बावजूद जनपद में कामकाज पटरी पर नहीं लौट पा रहा है।
ऐसे में कई ग्राम पंचायतों में मिली वित्तीय अनियमितता की शिकायतों की जांच लंबित पड़ी है। गौरतलब है कि जिला गठन के 24 साल में जनपद पंचायत बैकुंठपुर में कुल 27 सीइओ बदले कार्य कर चुके हैं। लेकिन 21 साल में 17 सीइओ बदले गए हैं। जिसमें महज साढ़े तीन साल में 10 सीइओ बदल चुके हैं।
जनपद सीईओ का औसत कार्यकाल महज 3 महीना बैकुंठपुर में साढ़े तीन साल में जनपद सीईओ के रूप में कार्य करने वाले 10 सीइओ का कार्यकाल औसत तीन महीना है। आखिर बैकुंठपुर जनपद पंचायत में सीईओ क्यों नहीं टिक पा रहें हैं। यह सवाल लगातार उठ रहा है। ऐसी चर्चा है कि राजनीति हावी है। लगातार सीईओ बदले जाने से जनपद पंचायत का कार्य प्रभावित हो रहा है।
सबसे ज्यादा विभिन्न ग्राम पंचायतों की जांच पर असर पड़ रहा है। अनियमितता की शिकायतें हैं और लगातार सीईओ बदले जाने की वजह से जांच लंबित है। इधर जनपद सीईओ का बार-बार तबादला होने से ग्राम पंचायतों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। निर्माण हो रहे हैं, पर चेक नहीं कट रहा। कहीं प्रस्ताव बना हुआ है तो प्रस्ताव स्वीकृत नहीं हो रहा है। पंचायतों के कई काम तबादले से अटक गए हैं।
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