देश की कोयला जरूरत को पूरा करने के लिए हर साल गेवरा प्रोजेक्ट (Gevra Project) से खनन (Mining) बढ़ाया जा रहा है। वर्तमान में यहां से सालाना 52.5 मिलियन टन कोयला खनन कर प्रदेश के भीतर और बाहर स्थित बिजलीघरों को दिया जाता है। मंत्रालय की उच्च स्तरीय टीम ने बैठक कर गेवरा से 70 मिलियन टन कोयला खनन के लिए पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। केंद्र सरकार का यह निर्णय गेवरा को एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान बनाने में मील का पत्थर साबित होगा।
कोल इंडिया की मेगा प्रोजेक्ट गेवरा से खनन साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स कंपनी करती है। यह कंपनी कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी है। पिछले 40 वर्षों से गेवरा से कोयला खनन किया जा रहा है। इसके लिए कोल इंडिया देश दुनिया की सबसे बेहतरीन खनन तकनीक का इस्तेमाल कर रही है। कंपनी की ओर से बताया गया है कि गेवरा में वर्तमान में कोयले का इतना भंडार मौजूद है कि आने वाले 10 वर्षों तक यह भारत की कुल कोयला खपत को पूरा कर सकता है। यहां कोयले की सीम की मोटाई भी अधिक है। यह खदान लगभग 10 किलोमीटर लंबा और 4 किलोमीटर चौड़ा है।
एसईसीएल की गेवरा खदान एशिया की सबसे बड़ी कोयला खदान होगी। इसके लिए केंद्र सरकार ने पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की है। यहां से सालाना 70 मिलियन टन कोयला खनन किया जा सकेगा। वर्तमान में गेवरा प्रोजेक्ट से 52.5 मिलियन टन कोयला खनन किया जा रहा है।
-डॉ. सनीश चंद्र, जनसंपर्क अधिकारी, एसईसीएल बिलासपुर