दो फरवरी को हेमंत ने किलिमंजारो की सर्वोच्च चोटी उहरू पर भारत का राष्ट्रध्वज तिरंगा फहरा कर चर्चा में आए थे। इस चोटी की ऊंचाई पांच हजार 895 मीटर है और किलिमंजारो दुनिया का सबसे ऊंचा मुक्त खड़ा पर्वत है। इसे फतह करना हर पर्वतारोही का सपना होता है।
VIDEO- बीजेपी ने निकाली जनसंपर्क यात्रा, पार्टी के ये दिग्गज हुए शामिल, सरकार की गिनाईं उपलब्धियां, पढि़ए खबर… रविवार को हेमंत पत्रिका डॉट कॉम की ओर से आयोजित टॉफिक ऑफ डे में शामिल हुए। उन्होंने अपनी दुर्गम और साहसिक यात्रा के जुड़े कुछ रोचक अनुभव साझा किये। उन्होंने बताया कि चढ़ाई के दौरान मौसम काफी खराब था। तेज हवाएं चल रही थी। माइनस 29 डिग्री का तापमान हर कदम पर चुनौती पेश कर रहा था। उनके साथ चलने वाला शेरपा हर मिनट पर पूछ रहा था क्या आप आगे के सफर के लिए फिट हैं? सफर में एक स्थिति ऐसी भी आई कि शेरपा ने यात्रा बीच में ही रोकने की सलाह दी। मौसम खराब होने का हवाला देकर लौटने के लिए कहा। लेकिन हेमंत ने हार नहीं मानी। उन्होंने उहरू पर तिरंगा झंडा लहराकर ही दम लिया।
माउंट एवरेस्ट चढऩा चाहते हैं
हेमंत ने बताया कि सातों महाद्वीप में स्थित सर्वोच्च शिखर पर चढऩा चाहते हैं। किलिमंजारो फतह कर लिया है। उनकी इच्छा एवरेस्ट चोटी फतह करने की है। लेकिन इसके लिए काफी धन की जरूरत होगी। इसलिए हेमंत ने शासन प्रशासन से सहयोग मांगा है।
तीन साल पहले शुरू हुआ सफर
पेशे से साफ्टवेयर इंजीनियर हेमंत सेना में अफसर बनाना चाहते थे। लेकिन किस्मत ने साथ नहीं दिया। इस दौरान उन्होंने एक लेख पढ़ा। इसमें 17 साल की उम्र में एवरेस्ट फतह करने वाले एक पर्वतारोही की कहानी थी। फिर हेमंत के मन में पर्वतारोही बनने की इच्छा हुई। 2013 में हेमंत ने पर्वतारोहण के लिए प्रशिक्षण देने वाली एक संस्था में दाखिला लिया। कठिन प्रशिक्षण पर्वतारोही बने। हेमंत के पिता एसईसीएल में कर्मचारी और मां गृहणी है। हेमंत की एक छोटी बहन है। हेमंत की कामयाबी पर परिवार को गर्व है।