शादी का झांसा देकर दुष्कर्म
यह केस सात साल पुराना है। नौकरी के संबंध में आदिवासी युवती की पहचान
कोरबा के शख्स से हुई। उसके बाद युवक ने खुद को अनमैरिड बताया और उसे अपने प्रेम जाल में फंसा लिया। नवंबर 2017 में वह युवती को बिलासपुर ले गया और वहां नोटरी में लिखा पढ़ी की। इस दौरान उसने युवती को बताया कि हमारी शादी हो गई है और उसे कोरबा के रामपुर की एक कॉलोनी में रखा। उसने यहां युवती से डेढ़ साल तक दुष्कर्म किया. युवक युवती को अपने घर ले जाने से आनाकानी कर रहा।
युवती को शादी शुदा होने का पता चला
बताया जाता है कि अशोक राजवाड़े नाम के व्यक्ति ने
बिलासपुर में रहने वाली एक लड़की से प्रेम विवाह किया था। दोनों के बीच नोटरी के समक्ष इकरारनामा तैयार किया गया था। दोनों एक-दूसरे के साथ लगभग तीन साल तक रहे। इसी बीच महिला को ज्ञात हुआ कि अशोक पहले से शादीशुदा है। उसकी एक पुत्री भी है। यह भी पता चला कि अशोक ने एक अन्य महिला से भी ब्याह रचाया था और उसे भी छोड़ दिया था। जब इस मामले की जानकारी महिला को हुई तो उसने अशोक से जानकारी ली। इससे अशोक नाराज हो गया और पत्नी के साथ मारपीट करने लगा। उसे जान से भी मारने की धमकी दिया।
महिला ने अशोक राजवाड़े के खिलाफ वर्ष 2020 में झूठे आश्वासन देकर ब्याह रचाने और दुष्कर्म का आरोप लगाया था। महिला की रिपोर्ट पर पुलिस ने आरोपी पर एक्ट्रोसिटी एक्ट के तहत भी मुकदमा दर्ज किया था। इसकी सुनवाई कोरबा के कोर्ट में चल रही थी। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने अशोक को दुष्कर्म का आरोपी ठहराया और उसे आजीवन कारावास से दंडित किया। एक्ट्रोसिटी धाराओं के तहत भी अशोक को दंडित किया गया। अशोक को सजा दिलाने में तत्कालीन विवेचक कृष्णा साहू की भूमिका महत्वपूर्ण रही। उन्होंने अशोक की दो पूर्व पत्नियों को इस मामले में गवाह बनाया जिसे अशोक ने तीसरी शादी के लिए छोड़ दिया था और छलपूर्वक ब्याह रचाई थी।