वर्तमान में कोयला खदानों में ठेका कंपनियों का दायरा लगभग 85 फीसदी तक बढ़ गया है। 15 प्रतिशत कोयला खनन ही नियमित कर्मचारी कर रहे हैं। हाल ही में कोल इंडिया की ओर से सहयोगी कंपनियों के मैनपावर को लेकर डाटा जारी किये गए हैं। इसमें बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में एसईसीएल की कोयला खदानों में काम करने वाले 2304 मजदूर सेवानिवृत्त हुए।
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इससे कंपनी का मैनपावर घटकर 41832 रह गया। इनके स्थान पर कितनी भर्तियां हुईं यह तो कंपनी की ओर से नहीं बताया गया है लेकिन कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर जो आंकड़े साझा किये हैं उससे पता चलता है कि रोजगार के 400 प्रकरण को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की ओर से स्वीकृति दी गई। उक्त सभी प्रकरण अनुकंपा नौकरी से संबंधित थे। इसी अवधि में कंपनी ने जमीन अधिग्रहण के बदले 707 लोगों को नौकरी के लिए स्वीकृति दी।
उत्पादन में 20 मिलियन टन का इजाफा
एक तरफ कोल इंडिया और उसकी सहयोगी कंपनियों से नियमित कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं तो दूसरी ओर इन कंपनियों के कोयला खनन में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में एसईसीएल ने 187 मिलियन टन कोयला खनन किया। कंपनी अबकी बार 200 के लक्ष्य से दूर रह गई। जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में एसईसीएल ने 167 मिलियन टन कोयला खनन किया था, इसी अवधि में कंपनी के मैनपावर में 2573 मजदूर सेवानिवृत्त हुए थे। कोयला उत्पादन में इस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण समय के साथ कोयला खदानों में बढ़ती ठेका कंपनियों की हिस्सेदारी है। अब नियमित और गंभीर प्रकृति के कार्य को ठेका मजदूर कर रहे हैं। नियमित कोयला कामगारों की तरह ही 240 टन कोयला परिवहन करने वाले डंपर का संचालन भी अब संविदा मजदूर करने लगे हैं।
मैन पावर पर एक नजर
कंपनी सेवानिवृत्त कर्मी वर्तमान मैनपावर एसईसीएल 2304 41832 ईसीएल 2363 48711 बीसीसीएल 3117 33920 सीसीएल 985 33990 डब्ल्यूसीएल 1038 33352 एमसीएल 334 21493 एनसीएल 17 13770 एनईसी 82 585CG Coal Transportation: बोले सीएम विष्णु – कोयला ट्रांसपोर्ट समस्या खत्म, अब न कोई गड़बड़ न घोटाला
CG Coal Mines: कंपनी को आर्थिक लाभ, तो लोगों को नहीं मिल रहा रोजगार
कोयला खदानों में नई भर्तियां नहीं होने से एक तरफ कोयला कंपनी को आर्थिक लाभ हो रहा है तो दूसरी तरफ इससे स्थानीय बेरोजगार युवाओं को कंपनी में स्थायी नौकरी नहीं मिल रही है। ठेका मजदूरों को सामाजिक सुरक्षा का लाभ नहीं मिल रहा है।
अध्यक्ष गोपाल नारायण सिंह का कहना है कि कोल इंडिया और इसकी सहयोगी कंपनियों में अफसरों का छोड़कर अन्य पदों पर होने वाली सभी भर्तियां बंद हैं। इस संबंध में हम लोगों ने समय-समय में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में चर्चा की है लेकिन इसका असर नहीं हुआ है। नियमित भर्ती बंद होने से खदानों में मजदूरों का शोषण बढ़ा है।
जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सनीषचंद्र का कहना है कि कोयला कामगारों की भर्ती एक नीतिगत मामला है। जरूरत के अनुसार एक्जीक्यूटिव पदों पर भर्तियां की जाती हैं।