घाटे में चल रही 36 खदानों को कोल इंडिया बंद करने की योजना बना रही है। इसमें एसईसीएल की 14 खदाने हैं, जो कोरबा के अलावा हसदेव एरिया में स्थित है। श्रमिक संगठन घाटे में चल रही खदानों को बंद करने का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इसका कोयला मजदूरों पर विपरित असर पड़ेगा। आशंका है कि कामगारों की छंटनी भी हो सकती है। श्रमिक संगठन कंपनी से कोयला खनन के लिए नई तकनीक उपयोग करने का दबाव बना रहे हैं।
Read more- Video:- आप का गठबंधन में नहीं विश्वास लेकिन जो पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ रहीं उन्हें समर्थन : संजय सिंह इस बीच बीएमएस समर्थित अखिल भारतीय कोयला खदान मजदूर संघ ने घाटे में चल रही खदानों की जांच के लिए सात समिति गठित की है। श्रमिक संगठन का मानना है कि अगर सही रणनीति और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाय तो कोई भी खदान घाटा में नहीं जाएगी और न ही बंद होने की स्थिति में होगी।
यह सब कुप्रबंधन के कारण हो रहा है। समिति खदानों को फायदे में लाने पर सुझाव देगी। एसईसीएल में घाटे में चल रही खदानों की जांच के लिए मजदूर संघ ने लक्ष्मण चन्द्रा कोरबा, संजय सिंह भटगांव और अखिल मिश्रा सोहागपुर को शामिल किया है। इसके अलावा ईसीएल की खदानों की जांच का दायित्व नरेन्द्र कुमार सिंह,
जयदेव घोषाल, असीमावा बनर्जी, कान्त दत्ता, एमसीएल के लिए मनोज रजक, जेपी झा, कान्त गुप्ता, डब्ल्यूसीएल के लिए आरएस सिंह, नारायण राव सराटकर, शंभू सिंह माजरी, बीसीसीएल बिन्देश्वरी प्रसाद, पीएन दुबे और रामचन्द्र पासवान शामिल है। समिति एक माह में रिपोर्ट बनाकर संगठन को देगी। इसकी रिपोर्ट कोल इंडिया प्रबंधन को सौंपी जाएगी।