पहली घटना गेवरा खदान में बुधवार-गुरुवार की दरम्यानी रात लगभग 3.15 बजे हुई। 240 टन माल परिवहन करने वाला डंपर को लेकर चालक खदान से उपर चढ़ रहा था। इसी बीच रलिया के करीब पार्थ फेस पर गाड़ी का संतुलन बिगड़ गया, गाड़ी पीछे की ओर ढुलने लगी। बेकाबू होकर पलट गई। इसमें ड्राइवर को चोटें आई है उसे अस्पताल में भर्ती किया गया है।
घायल ड्राइवर की पहचान पुष्पराज से की गई है। बताया जाता है कि पुष्पराज गेवरा खदान में डंपर ऑपरेटर का काम करता है। बीती रात वह ड्यूटी कर रहा था। खदान से माल लेकर उपर खाली करने जा रहा था। गाड़ी पर 240 टन माल लोड था। इसी बीच पार्थ फेस पर डंपर चढ़ाई नहीं चढ़ पा रहा था। चालक ने डंपर को नियंत्रित करने का प्रयास किया लेकिन डंपर अनियंत्रित होकर पीछे की ओर लुढ़कते हुए लगभग 80 फीट नीचे खदान के भीतर गिर गया।
खदान में कार्य कर रहे कोयला
कर्मचारियों की नजर दुर्घटनाग्रस्त डंपर पर पड़ी। उन्होंने हादसे की सूचना अन्य कोयला कामगारों को दी। प्रबंधन को अवगत कराया गया। घायल ऑपरेटर को निकालकर इलाज के लिए एनसीएच अस्पताल भेजा गया। उसे अंदरूनी चोटें आई है।
Korba Road Accident: खान सुरक्षा निदेशालय करेगा मामले की जांच
गेवरा प्रोजेक्ट में
दुर्घटनाएं लगातार हो रही है। इसके पीछे बड़ा कारण उत्पादन का दबाव और सुरक्षा नियमों की अनदेखी है। इधर मामले की जांच करने के लिए खान सुरक्षा निदेशालय की टीम भी कोरबा पहुंचेगी। मेगा प्रोजेक्ट में हादसे क्यों हो रहे हैं और उक्त दोनों घटनाएं किन परिस्थितियों में हुई है इसकी जांच टीम करेगी। घटना में घायल मजदूरों का बयान दर्ज किया जाएगा। टीम घटना स्थल जाएगी और मौके का निरीक्षण कर कारण जानने की कोशिश करेगी।
जहां डंपर पलटा वहां सड़क की चौड़ाई कम
जिस स्थान पर डंपर पलटा है वहां सड़क की चौड़ाई कम है। बताया जाता है कि सामान्य तौर पर खदान की सड़कों का 100 फीट चौड़ा होना जरूरी है ताकि गाड़ियां आना-जाना कर सके। मगर जिस स्थान पर घटना हुई है वहां सड़क की चौड़ाई लगभग 30 फीट है। एक श्रमिक नेता ने बताया कि चौड़ाई कम होने के कारण जब गाड़ियां एक-दूसरे को रास्ते में पार करती है तब हादसे का खतरा ज्यादा रहता है। कई बार ऑपरेटर खुद को जोखिम में डालकर एक-दूसरे को साइड देते हैं। जिस स्थान पर बारूद गाड़ी पलटी है वहां भी सड़क की चौड़ाई सामान्य से कम है। सुरक्षा में खामी की वजह से दोनों हादसे बताए जा रहे है।