scriptपढिय़े बस्तर की 1000 साल पुरानी एक कहानी, जिसमें खोज हुई एक गुफा की, जिसके बाद वहां लगी बस्तर की अदालत | Kondagaon : Read 1000-year-old story of Bastar discovered a cave was made after which the court of Bastar | Patrika News
कोंडागांव

पढिय़े बस्तर की 1000 साल पुरानी एक कहानी, जिसमें खोज हुई एक गुफा की, जिसके बाद वहां लगी बस्तर की अदालत

गुफा में मुर्ति है जिसे लोग लिंगाई माता कहते है। यहां आने के बाद ये उपाय करने से होती है नि:संतान दंपतियों को संतान, गुफा साल में एक बार खुलती है।

कोंडागांवAug 20, 2017 / 10:00 am

ajay shrivastav

यहां आने के बाद ये उपाय करने से होती है नि:संतान दंपतियों को संतान

यहां आने के बाद ये उपाय करने से होती है नि:संतान दंपतियों को संतान

फरसगांव/कोंडागांव। अपने विशिष्ट रीति-रिवाज और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध बस्तर में एक ऐसी गुफा है जिसका द्वार वर्ष में सिर्फ एक बार एक दिन के लिए खुलता है। यह है रायपुर- जगदलपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बसे फरसगांव से दक्षिण- पश्चिम दिशा की ओर बड़े डोंगर मार्ग पर 8 किलोमीटर की दूरी में ग्राम आलोर के झांटीबंध पारा में स्थित पहाड़ी में स्थित है गुफा। कहा जाता है कि पुराने समय में यहां बस्तर रियासत की कचहरी थी। नयाखानी के बाद आने वाले पहले बुधवार को यहां के द्वार को खोला जाएगा।
ऐसी है गुफा
विदित हो कि ग्राम आलोर के उत्तर. पश्चिम दिशा में एक छोटी सी पहाड़ी है जिसके ऊपर एक विशाल चट्टान है उस चट्टान के ऊपर एक बड़ा सा पत्थर है। बाहर से बिलकुल सामान्य दिखने वाला यह पत्थर अंदर से स्तुपाकार है मानो जैसे किसी कटोरे को उलट दिया गया हो
पत्थर का लिंगाई की आकृति है
इस गुफा का एक ही प्रवेश द्वार है जो सुरंगनुमा है जहां बैठकर या लेटकर ही प्रवेश किया जा सकता है ।अंदर एक साथ 15 से 20 लोग ही बैठ सकते हैं । गुफा के अंदर बीचोंबीच पत्थर का लिंगाई की आकृति है जिसकी ऊँचाई डेढ़ से दो फीट है । इस आकृति को स्थानीय निवासी लिंगई माता कहते हैँ। किंवदंती है कि आज से लगभग 1000 साल पहले एक पारधी शिकारी शिकार करनें जंगल में गया। इधर उधर भटकने के बाद एक खरगोश दिखा। पीछा करने के बाद यह खरगोश जान बचाने गुफा में घुस गया।
नि:संतानो को होता है फायदा
दूसरे दिन वे उसकी खोजबीन कर निराश होकर वापस आ गए ।कुछ दिन बाद एक ग्रामीण जो लखापुरिया कोर्राम परिवार से था को सपना आता है कि मैं तुम्हारे कुंदा की आया हूं तथा जो नि:संतान दंपति पूरे सेवाभाव के साथ खीरा लेकर मेरी गुफा में आयेंगे और मुझे चढ़ाकर उसी खीरा को अपनें नाखून से चीरकर कड़वे भाग सहित खायेंगे तो उनकी इच्छा पूरी होगी। इसके बाद से मनौतियां मांगने श्रद्धालु व दर्शनार्थी यहां पहुंचते रहे हैं।

Hindi News / Kondagaon / पढिय़े बस्तर की 1000 साल पुरानी एक कहानी, जिसमें खोज हुई एक गुफा की, जिसके बाद वहां लगी बस्तर की अदालत

ट्रेंडिंग वीडियो