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CG Election 2023: मतदान दलों को बूथों तक पहुंचाने और सुरक्षित लाने रूट चार्ट तय यह हम नहीं बल्कि अंदरूनी इलाकों में रहने वाले लोग समय-समय पर बया करते रहे हैं। उन्हें आज भी कई किलोमीटर पैदल चलने के बाद जिला मुख्यालय तक पहुच पाते हैं। जिले के कुधुर सहित अन्य ऐसे कई इलाके है जहाँ आज भी बिजली पूरी तरह से गांवो तक नहीं पहुँच पाई है। जिला मुख्यालय से सटे भी कई ऐसे इलाके है जहाँ पानी,बिजली की समस्या बनी रहती हैं। लोगों मर्दापाल व फरसगांव इलाके के कई ऐसे गाँव हैं जहाँ आज भी पेयजल की सुविधा न होने के चलते वे झरिया का पानी पीने को मजबूर हैं।
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विधानसभा का इतिहास : 1967 से अब तक एक बार ही खिला कमल, कांग्रेस 6 तो बसपा 5 बार जीती हालांकि जिन इलाकों में जहां पहले कभी मोटरसाइकिल नहीं जाया करती थी उन पगडंडियों में अब चार पहिया वाहन भी दौड़ रही है यह भी जिले की सच्चाई है। लेकिन आधुनिक भारत और डिजिटल के इस युग में आखिर हमारा जिला कहां पर पिछड़ रहा है यह शासन-प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है। जिससे समय रहते जिले के अंदरूनी इलाकों में रहने वाले लोगों को भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया हो सके।
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रोक भाई ठोक : चुनई होही त सबो दुख-पीरा बिसरा जही समझथें मतदातामन! नक्सलियों का दंश हुआ कम, पर विकास गायब इलाके में धीरे-धीरे कर नक्सलियों का दंश तो कम हुआ है, लेकिन विकास आज भी गांव तक नहीं पहुंच पाई है। जिसका इंतजार लोगों को वर्षों से रहा है कुछ समय पहले तक विकास के लिए नक्सलियों को बाधा माना जाता था, लेकिन अब तो नक्सलियों का मानो खत्मा हो गया है अब तो उन अंदरूनी इलाकों में भी विकास की बयार बहनी चाहिए जो अब तक संभव नहीं हो पाई है। जिले के सरहदी इलाकों का तो और भी बुरा हाल है शायद इन इलाकों में विकास कागजों के रास्ते होकर गायब हो रहा है।