मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वर्ष 2014 में टेट पास अभ्यर्थियों (नॉट इंक्लुडेट) के आंदोलन के बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। मालबाजार में उनसे इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी मै कुछ नहीं बोलूंगी। यह मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। हाई कोर्ट ने इस बारे में निर्देश दिया है। आप लोग हाई कोर्ट से जाकर पूछें।ईधर प्राथमिक स्कूल के शिक्षक पद पर नियुक्ति की मांग को लेकर उक्त टेट पास अभ्यर्थियों का आंदोलन जारी है। वे सोमवार से साल्टलेक के करुणामयी स्थित प्रथामिक शिक्षा परिषद के मुख्या के सामने धरना पर बैठे हैं। प्रदर्शनकारियों के अनुसार 2014 में टेट पास करने के साथ ही उन लोगों ने प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए दो बार इंटरव्यू भी दिया है। फिर भी उन्हें नियुक्ति पत्र नहीं मिला।
अनुचित मांग स्वीकार नहीं- परिषद अध्यक्ष
प्राथमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष गौतम पाल ने आंदोलनकारी अभ्यर्थियों की मांग को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक देश में हर किसी को विरोध-प्रदर्सन करने का अधिकार है। आंदोलनकारियों के प्रति सहानुभूति है। लेकिन अनुचित मांगों को स्वीकार नहीं किया जा सकता।
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– क्या ममता मानवीय मुख्यमंत्री हैं- आंदोलनकारी
आंदोलनकारी पियाली गुछाइत ने कहा कि मुख्यमंत्री ने हमें नौकरी मिलने के सपने दिखाई थीं। उन्होंने कहा था कि 2014 में टेट पास करने वाले सभी को नौकरी दिया जाएगा। लेकिन 42,000 भर्तियों में घोटाला हुआ है। अगर अब मुख्यमंत्री हमे नौकरी देने से इनकार करती हैं, तो क्या वह मानवीय मुख्यमंत्री हैं। इस मामले में उन्हें स्वंय आकर देखना चाहिए।