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साफ सुथरी छवि साहू वर्तमान में डीजी-कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी सम्भाल रही हैं। हालांकि, उन्हें कानून-व्यवस्था की स्थिति संभालने का ज्यादा अनुभव नहीं है, लेकिन उन्हें खुफिया नेटवर्क में विशेषज्ञता हासिल है। उनकी साफ-सुथरी छवि उन्हें अपने साथियों से आगे रख सकती है। साहू की पोस्टिंग कोलकाता पुलिस और सीआइडी के जासूसी विभाग में अधिक रही है। वीवीआइपी सुरक्षा में भी उनकी तैनाती रही है।
—- केन्द्र से पैनल आने का इंतजार डीजीपी के लिए राज्य सरकार ने वरिष्ठता के आधार पर 11 अधिकारियों को पैनल केन्द्र को भेज दिया है। सूत्रों के अनुसार, राज्य की ओर से डीजीपी पद के लिए जो 11 वरिष्ठ आइपीएस अधिकारियों की जो सूची भेजी गई है उसमें साहू का नाम चौथे नंबर पर है।
—- पहले नंबर पर मनोज मालवीय राज्य की ओर से भेजी गई 11 पुलिस अधिकारियों की सूची में पहले नंबर पर मनोज मालवीय हैं। 1986 बैच के अधिकारी मालवीय डीजी (संगठन) के रूप में तैनात हैं। सूची में दूसरे स्थान पर 1986 बैच के आईपीएस कुलदीप सिंह हैं वे डीजी (सीआरपीएफ) हैं । तीसरे स्थान पर आईपीएस शशिभूषण सिंह तोमर का नाम है। वे भी 1986 बैच के अधिकारी है। वे दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर हैं। चौथे नंबर पर सुमन साहू है। पांचवे नम्बर पर 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी पी. निरज नयन का नाम है। वे फिल्हाल फायर सर्विस के डीजी हैं।
—- ये है चयन की प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य में पुलिस महानिदेशक पद पर किसी की नियुक्ति न्यूनतम दो वर्ष के लिए की जाती है। इसके लिए राज्य वरिष्ठता के मुताबिक अधिकारियों की सूची डीओपीटी दिल्ली भेजता है। इस सूची में पात्र होन के लिए अधिकारी के पास न्यूनतम छह माह का कार्यकाल होना जरूरी है। (सेवानिवृत्त होने में छह माह से अधिक का समय हो)। डीओपीटी इसमें से अन्तिम तीन नाम का पैनल तय कर राज्य को भेजता है। तीन में से राज्य किसी एक अधिकारी को पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्त करता है।