यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार
यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार होंगे। सिन्हा का नाम शरद पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की पेशकश को अस्वीकार किए जाने के बाद सामने आया।
यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार
विपक्ष का सर्वसम्मति से फैसला
हर कोई समर्थन देगा: कांग्रेस नेता जयराम
नई दिल्ली/कोलकाता. यशवंत सिन्हा विपक्ष के राष्ट्रपति पद के साझा उम्मीदवार होंगे। सिन्हा का नाम शरद पवार, गोपालकृष्ण गांधी और फारूक अब्दुल्ला की ओर से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने की पेशकश को अस्वीकार किए जाने के बाद सामने आया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार की ओर से बुलाई गई बैठक में विपक्षी नेताओं ने सिन्हा के नाम पर सहमति जताई। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि विपक्षी दलों ने सर्वसम्मति से फैसला किया है कि यशवंत सिन्हा राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्ष के आम उम्मीदवार होंगे। विपक्ष ने स्पष्ट कर दिया था कि राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष साझा उम्मीदवार उतारेगा और उसे हर कोई समर्थन देगा। साझा उम्मीदवार चुने जाने पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिन्हा को बधाई दी है।
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विशिष्ट रूप से योग्य हैं सिन्हा
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बैठक के बाद एक संयुक्त बयान पढ़ते हुए कहा कि हमें यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमने सर्वसम्मति से यशवंत सिन्हा को 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों के उम्मीदवार के रूप में चुना है। वे भारत के धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए विशिष्ट रूप से योग्य हैं। लंबे सार्वजनिक जीवन और प्रतिष्ठित करियर में यशवंत सिन्हा ने विभिन्न क्षमताओं- एक सक्षम प्रशासक, कुशल सांसद और प्रशंसित केंद्रीय वित्त और विदेश मंत्री के रूप में देश की सेवा की है।
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भाजपा से समर्थन की अपील
जयराम रमेश ने कहा कि हम भाजपा और उसके सहयोगियों से राष्ट्रपति के रूप में यशवंत सिन्हा का समर्थन करने की अपील करते हैं ताकि हम एक योग्य राष्ट्रपति को निर्विरोध निर्वाचित कर सकें। उन्होंने कहा कि हमें खेद है कि मोदी सरकार ने राष्ट्रपति उम्मीदवार को लेकर आम सहमति बनाने के लिए कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए कायम हुई विपक्षी दलों की एकता आने वाले महीनों में और मजबूत होगी।
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बैठक में ये पार्टियां मौजूद
बैठक में कांग्रेस, राकांपा, तृणमूल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), माकपा, समाजवादी पार्टी, नेशनल कॉन्फ्रेंस, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रतिनिधि शामिल हुए।
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ये नेता थे शामिल
बैठक में शामिल होने वालों में कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खडग़े और जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस के अभिषेक बनर्जी, द्रमुक के तिरुचि शिवा, माकपा के सीताराम येचुरी और भाकपा के डी राजा शामिल थे।
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पांच क्षेत्रीय दल रहे दूर
तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस), बीजू जनता दल (बीजेडी), आम आदमी पार्टी (आप), शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) इस बैठक से दूर रहे। इन पार्टियों को किसी भी धड़े में नहीं माना जाता। ये पार्टियां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की ओर से बुलाई गई 15 जून की बैठक से भी दूर रही थीं।
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सिन्हा शामिल हुए थे तृणमूल में
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रहे यशवंत सिन्हा पिछले साल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन बाद में बीजेपी के नए नेतृत्व से मतभेदों के चलते साल 2018 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी। पिछले कुछ सालों में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन के धुर विरोधी रहे हैं।
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