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पुरुलिया हथियार कांड स्वतंत्र भारत की इस सबसे रहस्यमय घटना से कब उठेगा राज

22 साल बीतने के बाद भी अब भी अनसुलझा है कांड

कोलकाताMay 19, 2018 / 08:48 pm

Paritosh Dube

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पुरुलिया हथियार कांड स्वतंत्र भारत की इस सबसे रहस्यमय घटना से कब उठेगा राज

कोलकाता.
देश की स्वतंत्रता के बाद घटी घटनाओं में सबसे रहस्यजनक माने जाने वाला पुरुलिया हथियार कांड आज भी पेचीदगी के जाल में फंसा हुआ है। विमान से पश्चिम बंगाल के पुरुलिया में गिराए गए हथियारों की घटना के 22 साल बीतने के बाद भी इसकी जांच में लगी एजेंसियां यह तय नहीं कर पाई हैं कि घटना की सच्चाई क्या है। इसके पीछे कौन था। इसका मकसद क्या था।
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17 दिसम्बर 1995 ड्राप किए गए थे हथियार
पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में 18 दिसम्बर 1995 को अपने काम पर जा रहे लोगों को खुली जगहों पर बक्से दिखाई दिए। बक् शों में बुल्गारिया में बनी 300 एके 47 और एके 56 राइफलें, लगभग 15,000 राउंड गोलियां, 6 रॉकेट लांचर, बड़ी संख्यां में हथगोले, पिस्तौलें और अंधेरे में देखने वाले उपकरण बरामद किए गए। शुरुआत में तो ग्रामीणों ने हथियार अपने घर में छिपा दिए लेकिर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक लगने के बाद बड़े पैमाने पर हथियारों को बरामद करने का अभियान चलाया गया।
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चार दिन बाद पकड़ाया विमान
देश भर में मची खलबली के बीच कांड के चार दिनों के भीतर ही 21 दिसंबर को थाईलैंड से कराची जा रहे एन्तोनोव-26 नाम के इस रूसी विमान को मुंबई के ऊपर से गुजरते समय नीचे उतरा गया। विमान में सवार लोगों के तार कांड से जुड़े निकले। विमान से ब्रिटिश हथियार एजेंट पीटर ब्लीच और चालक दल के छह सदस्यों को तो गिरफ्तार कर लिया गया। लेकिन इस कांड का मास्टर माइंड किम डेवी संदिग्ध घटनाक्रम के तहत स्थितियों हवाई अड्डे से बच निकला और अपने मूल देश डेनमार्क पहुंच गया।
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हाथ नहीं आया किम डेवी
कांड का मास्टर माइंड किम डेवी कभी भी भारत की गिरफ्त में नहीं आ पाया। उसके सहयोगी पीटर ब्लीच और चालकदल के सभी सदस्यों को भी भारत सरकार ने माफी देकर रिहा कर दिया है।
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आनंद मार्गियों से लेकर लिट्टे तक का नाम आया
पुरुलिया में हथियारों का जखीरा किसके लिए पैराशूट से ड्राप कराया गया था। इसके जवाब में कई उत्तर मिले, लेकिन उनकी पुष्टी न तो अदालत ने की और न ही जांच एजेंसियों ने सीबीआई की जार्जशीट में आनंदमार्गियों को आरोपी बनाया गया था जिसे अदालत ने खारिज कर दिया। वहीं कांड से अमेरिका, म्यांमार, बांग्लादेश और लिट्टे तक का नाम जोड़ा गया। कुछ लोगों ने हथियारों को बांग्लादेश के उग्रवादी गुटों के लिए गिराए जाने की बात कही। यह तर्क दिया गया कि हथियार गिराने वालों से भूल हो गई। वहीं कुछ लोग म्यांमार के काचेन विद्रोहियों की मदद के लिए हथियार भेजे जाने की बात कही। हथियार कांड को उस दौर के श्रीलंकाई अलगाववादी संगठन लिट्टे से भी जोडक़र देखा गया।

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