‘दद्दा’ नाम से चर्चित मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ दिलाने की मांग कई सालों से उठ रही है। खेल जगत की कई हस्तियां भी मांग उठा चुकी है। यहां तक कहा जाता है कि सचिन तेंदुलकर से पहले ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ मिलना चाहिए था। इस बार भी उनके प्रशंसक अयोध्या में रामलला के मंदिर में अर्जी लगाकर मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ दिलाने को लेकर अर्जी लगाने वाले हैं।
मध्यप्रदेश के सेवानिवृत्त पुलिस ऑफिसर तारक कुमार पारकर जल्द ओरछा से अयोध्या तक पद यात्रा शुरू करने वाले हैं। तारक कुमार पारकर 68 साल की उम्र में 475 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। यह यात्रा निवाड़ी जिले के ओरछा के रामराजा मंदिर में पूजा-अर्चना से शुरू होगी। पारकर की पद यात्रा उत्तर प्रदेश के झांसी पहुंचेगी, जहां मेजर ध्यानचंद की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए जाएंगे। इसके बाद उरई, कानपुर, लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद होते हुए अयोध्या पहुंचेगी। पारकर अयोध्या में हाल ही में विराजे रामलला के समक्ष मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न दिलाने की मांग को लेकर अर्जी लगाएंगे।
प्रधानमंत्री से करेंगे मांग
मध्यप्रदेश के खरगोन के रहने वाले पारकर ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेजर साहब को ‘भारत रत्न’ दिलाने की मांग करेंगे। यात्रा के दौरान उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को भी अर्जी देंगे। यात्रा के दौरान विश्व शांति, नशामुक्ति भारत की भी मांग करेंगे। इसके साथ ही निमाड़ क्षेत्र के खरगोन, खंडवा, बड़वानी में रेलवे लाइन के लिए भी अर्जी प्रस्तुत करेंगे।
1978 में मिले थे मेजर साहब
पारकर ने बताया कि सन 1978 में अयोध्या की पद यात्रा के दौरान ही मेजर ध्यानचंद से उनकी मुलाकात हुई थी। इसके बाद 1981 में पैदल भारत भ्रमण के दौरान भी अयोध्या गए थे। अब ओरछा से शुरू होने वाली यह उनकी तीसरी पद यात्रा है। गौरतलब है कि तारक कुमार पारकर पुलिस विभाग में असिस्टेंट फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
क्या कहते हैं मेजर ध्यानचंद के बेटे
कई बार ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद भी सरकार से उनके सम्मान में भारत रत्न देने की मांग कर चुके हैं। मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक ध्यानचंद अक्सर कहते हैं कि भारत रत्न का राजनीतिकरण हो चुका है। यह राजनीतिक पहुंच वाले लोगों को मिलता है। एक बार पत्रिका से चर्चा में ध्यानचंद ने कहा था कि सचिन तेंदुलकर से ज्यादा मेजर ध्यानचंद का दावा इस अवार्ड पर था। यदि सरकार उन्हें अवार्ड देती तो अपने ऊपर अहसान करती। पत्रिका से चर्चा में उन्होंने कहा था कि ऐसा नहीं है कि भारत रत्न देने के लिए प्रयास भी हुए। तत्कालीन खेल मंत्री अजय माकन ने भी इसके प्रयास किए थे, लेकिन अंतिम समय में सचिन का नाम आगे बढ़ा दिया गया था। ध्यानचंद कहते हैं कि इस अवार्ड की अपनी मर्यादा और सम्मान है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न: भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस कब आता है?
उत्तर: 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनता है।
प्रश्नः राष्ट्रीय खेल दिवस की शुरुआत कब हुई?
उत्तर: 2012 में पहली बार भारत में उत्सवों की लिस्ट में खेल दिवस को शामिल किया गया।
प्रश्नः हम राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाते हैं?
उत्तर: राष्ट्रीय खेल दिवस हॉकी के दिग्गज ध्यान चंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
सचिन नहीं मेजर ध्यानचंद थे भारत रत्न के हकदार , बेटा बोला खुद पर करती सरकार अहसान