एमपी से महाराष्ट्र में बढ़ी अवैध हथियारों की सप्लाई
पुलिस की गिरफ्त में आए खरगोन के मो. यासीन खान और मोहम्मद अजहर खान हथियारों की सप्लाई देने मुंबई पहुंचे थे। उनके पास से आठ देशी पिस्तील बरामद हुई हैं। आरोपियों ने बताया कि हथियार खरगोन में तैयार हुए थे। पिस्टल की गुणवत्ता देखकर अफसर हैरान रह गए। उन्होंने यहां तक कहा कि इनकी गुणवत्ता पुलिस के हथियारों से भी अच्छी है। यह पिस्तील बेहद स्मूथ और वजन में हल्की हैं।
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सीनियर इंस्पेक्टर मनीष श्रीधनकर ने बताया, पिछले दिनों मुंबई और आसपास के क्षेत्र में जितने भी बड़े अपराध हुए, उनमें आरोपियों के पास से मध्यप्रदेश से हथियार लाने की लिंक मिली है। मुम्बई में पहले हमें यूपी के जौनपुर-प्रतापगढ़ का लिंक मिलता था। श्रीधनकर ने इसके पीछे बड़ी वजह ट्रेनों में सघन जांच को बताया है। यूपी के अपराधी ट्रेनों से आते थे, जबकि मप्र की सीमाएं महाराष्ट्र से सटी होने से आरोपी सड़क मार्ग से हथियार महाराष्ट्र ले जाते हैं।
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हथियार फिनिशिंग में बेहतर और मारक
मुंबई पुलिस की गिरफ्त में आए आरोपियों ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि तस्कर पुलिस से बचने के लिए झोले में अवैध पिस्टल और कट्टे बनाने का सामान लेकर चलते हैं। मौका मिलते ही हाथों-हाथ हथियार बना देते हैं। इन्होंने दुर्गम इलाकों में छोटी फैक्ट्री बना रखी हैं। मुंबई पुलिस ने कहा कि एमपी बने अवैध हथियार फिनिशिंग में बेहतर और मारक हैं। यह चिंता का विषय है।
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सब्जी फल के ट्रकों से तस्करी
जानकारी के अनुसार, निमाड़ क्षेत्र में अवैध हथियार बनाने वाले सिर्फ 2000 रुपए की सामग्री में दो दिन में ही एक पिस्टल तैयार कर लेते हैं। यह 8 से 10 हजार रुपए तक में आसानी बिक जाती है। अवैध हथियार लाने-ले- जाने के लिए सब्जी-फल लदे ट्रक-टेंपो का इस्तेमाल किया जा रहा है।
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सिकलीगर और उनका लेन-देन
पुलिस ने पिछले दिनों खरगोन के नवलपुरा, जतिपुरा फलियां गारी, सिर्वेल, उसल गांव काजलपुरा, गोपालपुरा अम्बा और सिगनूर को अवैध हथियार के गढ़ के रूप में रिकॉर्ड पर लिया था। इसमें पांच थाना क्षेत्र के सिकलीगर की संख्या 911 और रिकॉर्ड वाले 84 सिकलीगर शामिल किए थे। इनके 48 बैंक खातों में पैसे का लेन-देन होने सा जानकारी सामने आई थी। तीन का बाहर भी लेन-देन हुआ था। बड़वानी के 9 गांवों में 4 थानों के अंतर्गत 87 सिगलीगर और उनके 36 बैंक खाते मिले थे। वहीं एक का बाहरी राज्य में लेन-देन था। ऐसे ही धार के 6 गांव में 46 सिगलीगर मिले थे, जिनके 70 खाते सामने आए थे।