रायशुमारी के दौरान पूर्व विधायक देवेंद्र वर्मा भी सक्रिय नजर आए। जिलाध्यक्ष के लिए उनकी भी दावेदारी बताई जा रही है। एससी वर्ग सहित सामान्य रूप से भी उनका नाम आगे बढ़ाया गया है। उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद से पूर्व विधायक वर्मा पार्टी में हाशिए पर है। सांसद पाटिल और महापौर अमृता अमर यादव के बीच वर्चस्व की लड़ाई में अब पूर्व विधायक भी अपनी जमीन तलाशने में लगे है, ताकि पार्टी में अपना वर्चस्व दोबारा जमा सके।
दिवंगत सांसद व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष रहे नंदकुमारसिंह चौहान नंदू भैया का पार्टी में दबदबा था। नंदू भैया के समय जिलाध्यक्ष के लिए कोई रायशुमारी नहीं होती थी, वह सर्वसहमति से नाम तय कर देते थे, जिस पर सब मोहर लगा देते थे। नंदू भैया के दिवंगत होने के बाद खंडवा जिला भाजपा में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई है। सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल खंडवा और बुरहानपुर में अपना दबदबा बनाना चाहते है। मंत्री विजय शाह का हरसूद में कोई विरोध नहीं है और वे जिले की राजनीति में दखल भी नहीं देते। विधायक तनवे सांसद गुट समर्थक जरूर है, लेकिन अपना अगल वर्चस्व भी कायम करना चाहतीं है। वहीं, महापौर अमृता अमर यादव गुट भी अपना वर्चस्व बनाने में लगा हुआ है।
सामान्य वर्ग व राजपूत समाज से इस बार कई दावेदारों के नाम सामने आ रहे है। इसमें पूर्व जिपं अध्यक्ष राजपालसिंह तोमर, अरुण सिंह मुन्ना, राजपालसिंह चौहान, मंगलेश तोमर, जितेंद्र मंडलोई, राजेश तिवारी, नरेंद्रसिंह तोमर, लोकेंद्रसिंह गौड़, राजेश तिवारी, दिनेश पालीवाल, धर्मेंद्र बजाज सहित वर्तमान जिलाध्यक्ष सेवादास पटेल, नंदन करोड़ी, आशीष चटकेले, त्रिलोक पटेल, सुखदेव पटेल, संतोष सोनी, नानूराम मांडले, पूर्व विधायक देवेंद्र वर्मा, पूर्व महापौर भावना शाह, सूरजपाल सिंह का नाम शामिल बताया जा रहा है।