खंडवा

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस नेत्रहीन मुस्लिम शख्स को आया न्योता, जानें कौन हैं अकबर ताज

मुस्लिम शख्स अकबर ताज को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए के आमंत्रित किया गया है।

खंडवाJan 08, 2024 / 04:29 pm

Faiz

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस नेत्रहीन मुस्लिम शख्स को आया न्योता, जानें कौन हैं अकबर ताज

22 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित श्री राम लला का प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने जा रहा है। इस समारोह के लिए विशेष तैयारियां जोर शोर से की जा रही हैं तो वहीं प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने के लिए देश-विदेश से हजारों नामचीन लोगों को आमंत्रित भी किया जा रहा है। इन्हीं में से एक मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में रहने वाले मुस्लिम शख्स अकबर ताज भी हैं, जिन्हें श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए के आमंत्रित किया गया है।

 

मध्य प्रदेश के खंडवा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम हापला-दीपला में रहने वाले एक मुस्लिम कवि अकबर ताज मंसूरी हैं। वैसे तो अकबर ताज नेत्रहीन हैं, इसके बावजूद भी वो एक जोरदार कवि हैं और भगवान राम पर एक से बढ़कर एक रचनाएं लिखते-गाते हैं। वो देशभर में श्रीराम के चरित्र का अदिभुत और अनोखे ढंग से गुणगान करते हैं। ‘मुस्लिम सूरदास’ के नाम से पहचान रखने वाले अकबर ताज को अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए न्योता भेजा गया है।

 

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जगदगुरू राम भद्राचार्य ने दिलाया विशेष न्योता

राम मंदिर से न्योता मिलने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए अकबर ताज ने कहा कि श्री राम सबके हैं। उनका अवतार मानव जाति की भलाई के लिए हुआ था। प्रभु श्री राम को लेकर उनके इस प्रेम को देखकर जगद्गुरु संत रामभद्राचार्य ने 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले विशेष आयोजन में प्रस्तुति देने के लिए इस सूरदास कवि अकबर ताज को आमंत्रित किया है। न्योता आने के बाद से ही अकबर ताज अयोध्या जाने के लिए बेहद उत्साहित हैं।

 

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देशभर के हिंदी मंचों पर कर चुके हैं रचनापाठ

खंडवा जिले के छोटे से गांव में रहने वाले 42 वर्षीय अकबर ताज अबतक दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ और सूरत समेत देशभर में आयोजित हुए कई हिंदी मंचों पर रचनापाठ कर चुके हैं। रामलला पर आधारित उनकी रचनाओं ने उन्हें देश में एक ख्सा ख्याति दिलाई है। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर वो खुश हैं। उनका कहना है कि भगवान राम का जीवन चरित्र हमें मर्यादा में जीने की सीख देता है। उन्होंने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 वर्ष का वनवास सहर्ष स्वीकार किया। ऐसा व्यक्तित्व आज कहां देखने को मिलता है।


न्योता पाकर बेहद खुश हैं ताज

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ताज के अनुसार वो आने वाले 14 जनवरी को उत्तर प्रदेश के अयोध्या पहुंचेंगे और भगवान श्रीराम पर कविता पाठ करेंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं पूरे देश में जगह-जगह जाता रहता हूं, लेकिन अयोध्या में राम जी भद्राचार्य द्वारा मिले इस विशेष आमंत्रण को पाकर मुझे बहुत खुशी मेहसूस हो रही है। मैं कई अन्य कार्यक्रम छोड़कर वहां जा रहा हूं।’ ताज बचपन से ही भगवान श्रीराम की स्तुति में कविताएं और भजन लिखते और उनका पाठ करते रहे हैं। मीडिया से चर्चा के दौरान भी अकबर ताज ने श्री राम पर अपनी कुछ रचनाएं सुनाईं, जो इस प्रकार हैं-


राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है,
राजमहल को छोड़ के वन में सोना पड़ता है।
राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं,
धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है।


भगवान राम पर उनकी कुछ रचनाएं

यहां भी राम लिख देना, वहां भी राम लिख देना,
ये अकबर ताज कहता है कि चारों धाम लिख देना,
समंदर में भी फेकोगे तो पत्थर तैर जाएंगे,
मगर उन पत्थरों पर रामजी का नाम लिख देना।

बनारस की सुबह वाले हैं, अवध की शाम वाले हैं,
हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं,
वजू करते हैं पांचों वक्त हम गंगा के पानी से,
तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं।

मुझे तू राम के जैसा या फिर लक्ष्मण बना देना,
सिया के मन के जैसा मन मेरा दर्पण बना देना,
मुझे अंधा बनाया है तो मुझको गम नहीं इसका,
मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना।

राम वनवास पर जब चले, सब अयोध्या के घर रो दिए,
कैकई तुझको दुख ना हुआ, बाकी सब नारी नर रो दिए,
राम के वन गमन की खबर, मां कौशल्या को जिस दम मिली, मां की ममता तड़पने लगी, दिल जिगर टूटकर रो दिए।

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