गुड़ी वन परिक्षेत्र में हजारों एकड़ तक जंगल फैला हुआ है। जिसमें वन विभाग ने माना है कि करीब तीन हजार हेक्टेयर जंगल कट गया। जिसमें संगठित गिरोह इस कार्रवाई को अंजाम दे रहे हैं। इसमें सागौन के साथ अन्य पेड़ भी लगे थे, जिन्हें अतिक्रमणकारियों ने कब्जे के लिए काट दिया। अब यहां अतिक्रमण कर खेती की जा रही है। इस जमीन को अतिक्रमणकारियों से छुड़ाने के लिए वन विभाग ने दो दिन तक कार्रवाई की। पहले दिन नहारमाल में अतिक्रमकण हटाया गया, जबकि दूसरे दिन आमाखुजरी में अतिक्रमण कारियों ने प्रशासन को कार्रवाई नहीं करने दी। प्रशासन की टीम को पथराव कर खदेड़ दिया। इसके बाद से अमला वापस नहीं लौटा है।
वहीं दूसरी तरफ जंगल से गायब हुए बेशकीमती सागौन के पेड़ों को लेकर भी बहस शुरू हो गई है। अतिक्रमणकारियों ने पेड़ काटे तो वे कहां गए, पेड़ों की सुरक्षा की जिम्मेदारी किसके पास थी। वन विभाग ने कितने पेड़ जब्त किए। अब तक कितने वन अधिकरी व कर्मचारियों पर कार्रवाई की गई। इस तरह के सवाल होने लगे हैं, हालांकि अधिकारी इस पर सीधा जवाब देने के बजाया मौन है।
16 हजार घनमीटर लकड़ी जब्त
जंगल में काटे गए पेड़ों को लेकर वन विभाग से जानकारी सामने आई है। गुड़ी वन परिक्षेत्र में जंगल की अवैध कटाई में वन विभाग द्वारा 16 हजार घन मीटर सागौन की लकड़ी जब्त की गई थी। नहारमाल, आमाखजुरी, कुमठा, भिलाईखेड़ा, टाकलखेड़ा और सीताबेड़ी से जब्त लकड़ी को वन विभाग के डिपो में रखा गया है। जब्त सागौन की कीमत करीब 7 करोड़ रुपए है। हालांकि इसमें से बड़ी मात्रा में लकड़ी जला दी गई है, या फिर माफिया ने इसे गायब कर दिया।
अफसर पर कार्रवाई
गुड़ी रेंज मिश्रित प्रजाति के पेड़ों का जंगल है। जंगल से जब्त सागौन के पेड़ आशापुर सहित जिले के अन्य डिपो में रखे हैं। पेड़ों की कटाई के लिए जिम्मेदार 10 से अधिक रेंजर, डिप्टी रेंजर व बीट गार्ड पर कार्रवाई हुई है। पांच वनकर्मियों पर निलंबन की कार्रवाई हुई है। इनकी विभागीय जांच भी की जा रही है। अब तक वनर्मियों से तीन लाख रुपए की वसूली हुई है।- राकेश डामोर, डीएफओ खंडवा