विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2000 में खालवा के जंगलों में शावक के साथ मेलघाट टाइगर रिजर्व से आई एक मादा बाघिन देखी गई। इस दौरान चांदगढ़ के जंगल में भी एक नर बाघ देखा गया। अगस्त 2017 में भी बाघ देखा गया, जिसकी भोपाल से मॉनीटरिंग की गई थी। सीसीटीवी में भी यह बाघ कैद हुआ। इंदिरासागर बांध बनाने के लिए ओंकारेश्वर में अभ्यारण्य की जरूरी शर्त रखी गई थी। नर्मदा के बैक वाटर की सुरक्षित दीवार, ऊंची घास और वन्यप्राणियों के आवास से यहां अनुकूल जंगल तैयार हो चुका हैं। वन अफसरों के मुताबिक प्रस्तावित पार्क एरिया में टाइगर के लिए पर्याप्त शिकार है। खालवा के पास सुंदरदेव और पश्चिम कालीभीत के जंगल में इस साल 2019 में भी बाघ दिखा है। चांदगढ़ में तो अब दोपहर में भी लोगों को आसानी से तेंदुआ दिख रहा है।
बुरहानपुर में महात्मागांधी अभ्यारण्य कुल 153.58 वर्ग किमी क्षेत्र में विकसित होगा। इसमें बोरदली और खकनार का वनपरिक्षेत्र आएगा। इसी प्रकार देवी अहिल्याबाई वन्यअभ्यारण्य बड़वाह वनमंडल में विकसित होगा। इसका दायरा 69 वर्ग किमी होगा। जिसका ज्यादातर क्षेत्र इंदौर के चोरल वन परिक्षेत्र रहेगा। इसमें इंदौर का 3690 हेक्टेयर और बड़वाह वनमंडल की 3278 हैक्टेयर वनभूमि आएगी।
ओंकारेश्वर अभ्यारण्य जो नक्शा बनाया गया है, उसमें गांवों को दूर छोड़ते हुए तैयार किया गया है। एक भी गांव इस अभ्यारण्य के विकसित होने के समय बीच में नहीं आएगा। गांव विस्थापित नहीं होंगे।
एसएस रावत, सीसीएफ, खंडवा