दरअसल, शहर के सुभाष नगर इलाके में रहने वाले सदाशिव राव और उनके एक साथी फद्दी पर साल 1987 में घर में घुसकर मारपीट का केस दर्ज किया गया था। मामले में जमानत पर छूटने के बाद वे पेशी पर नहीं पहुंचे तो कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। यही नहीं, रोपी को लृतलाशने के लिए पुलिस ने उसपर 4 हजार का ईनाम भी घोषित किया था।
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हैरानी की बात तोये है कि, कोर्ट के आदेश और ईनाम की घोषणा के बाद भी बीच एक बार भी पुलिस ने आरोपी को तलाशने की जहमत नहीं की। आखिरकार सदाशिव का साल 1998 में निधन भी हो गया। वारंट तामील कराने जब प्रधान आरक्षक रफीक खान शनिवार को आरोपी के घर पहुंचे तो उसके बेटे ने पिता की मौत की सूचना दी।