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खंडवा

निमाड़ के इस जंगल में सुनाई देगी टाइगर की दहाड़, हाथी पर कर सकेंगे सवारी

निमाड़ क्षेत्र का सबसे बड़ा 614.07 वर्गकिमी में बनेगा ओंकारेश्वर वन्यप्राणी अभयारण्य , खंडवा के अलावा बुरहानपुर और बड़वाह में बनेंगे अभयारण्य

खंडवाDec 03, 2019 / 01:31 pm

dharmendra diwan

omkareshwar national park, burhanpur, badhwah tiger reserve

फाइल फोटो टाइगर।,फाइल फोटो टाइगर।,फाइल फोटो टाइगर।

खंडवा. टाइगर स्टेट मप्र में वन विभाग नए अभयारण्य का निर्माण करने की तैयारी कर रहा है। निमाड़ क्षेत्र में तीन अभयारण्य विकसित होंगे। खंडवा जिले में ओंकारेश्वर वन्य प्राणी अभयारण्य, बड़वाह में देवी अहिल्या बाई होल्कर अभयारण्य और बुहानपुर जिले में महात्मा गांधी वन्यप्राणी अभयारण्य विकसित होंगे। निमाड़ का सबसे बड़ा ओंकारेश्वर अभयारण्य होगा, जो 614.07 वर्ग किमी में विकसित होगा। इंदिरा सागर, ओंकारेश्वर के बैकवाटर व नर्मदा नदी के आसपास बनेगा। यह पुनासा, मूंदी चांदगढ़ वन परिक्षेत्र के अलावा देवास जिले का वनक्षेत्र शामिल होगा।
देवास जिले के सतवास, कांडाफोड़, पुंजापुरा और उदयनगर वनपरिक्षेत्र का आंशिक क्षेत्र ाामिल होगा। अभयारण्य बनने के बाद इन जंगलों में टाइगर की दहाड़ सुनाई देगी साथ ही घूमने आने वाले सैलानियों को हाथी की सवारी कर सकेंगे। टाइगर, हिरण सहित अन्य जंगली जानवरी अभयारण्य मेें विचलन करते दिखाई देंगे । वन विभाग ने प्रस्ताव बनाकर भोपाल मुख्यालय को भेज दिए हैं। सूत्र बताते हैं कि मुख्यालय से भी अभ्यारण्य की स्वीकृति के लिए शासन को भेजे हैं। स्वीकृति के बाद निमाड़ में अभयारण्य कमी दूर होगी।
बुरहानपुर में 153.58 और बड़वाह में 69 वर्ग किमी में विकसित होगा अभयारण्य
बुरहानपुर में महात्मागांधी अभ्यारण्य कुल 153.58 वर्ग किमी क्षेत्र में विकसित होगा। इसमें बोरदली और खकनार का वनपरिक्षेत्र आएगा। इसी प्रकार देवी अहिल्याबाई वन्यअभ्यारण्य बड़वाह वनमंडल में विकसित होगा। इसका दायरा 69 वर्ग किमी होगा। जिसका ज्यादातर क्षेत्र इंदौर के चोरल वन परिक्षेत्र रहेगा। इसमें इंदौर का 3690 हेक्टेयर और बड़वाह वनमंडल की 3278 हैक्टेयर वनभूमि आएगी।
चांदगढ़ में देखा गया था बाघ, इंदिरा सागर बांध के लिए थी जरूरी शर्त

विशेषज्ञों के अनुसार वर्ष 2000 में खालवा के जंगलों में शावक के साथ मेलघाट टाइगर रिजर्व से आई एक मादा बाघिन देखी गई। इस दौरान चांदगढ़ के जंगल में भी एक नर बाघ देखा गया। अगस्त 2017 में भी बाघ देखा गया, जिसकी भोपाल से मॉनीटरिंग की गई थी। सीसीटीवी में भी यह बाघ कैद हुआ। इंदिरासागर बांध बनाने के लिए ओंकारेश्वर में अभ्यारण्य की जरूरी शर्त रखी गई थी। नर्मदा के बैक वाटर की सुरक्षित दीवार, ऊंची घास और वन्यप्राणियों के आवास से यहां अनुकूल जंगल तैयार हो चुका हैं। वन अफसरों के मुताबिक प्रस्तावित पार्क एरिया में टाइगर के लिए पर्याप्त शिकार है।
विस्थापन नहीं होगा
ओंकारेश्वर अभ्यारण्य जो नक्शा बनाया गया है, उसमें गांवों को दूर छोड़ते हुए तैयार किया गया है। एक भी गांव इस अभयारण्य के विकसित होने के समय बीच में नहीं आएगा। गांव विस्थापित नहीं होंगे।
निमाड़ में नए अभयारण्य विकसित करने के प्रस्ताव मुख्यालय भेजे है। खंडवा, बुरहानपुर और खरगोन जिले के बड़वाह में अभयारण्य विकसित होगा। इससे वन्यप्राणी को संरक्षण मिलेगा। साथ ही पर्यटन बढ़ेगा। – एसएस रावत, सीसीएफ, खंडवा।

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