– 26 कॉलोनियों को पूर्णता प्रमाण-पत्र देने के प्रकरण शासन को भेजेंगे
– 15 दिन का अतिरिक्त समय शहर की सड़कों के सुधार के लिए दिया
– 2017-18 के बजट में ठोस अपशिष्ठ मद में शून्य राशि दर्शाने की होगी जांच
– 70 स्थानों पर कनेक्टिविटी कराएंगे, 25 से ज्यादा जोन में डीएमए सिस्टम में बांटेंगे
पार्षद सागर आरतानी ने कहा कि युवा पार्षद होने के नाते मेरे पास विजन था लेकिन अब जबकि परिषद का कार्यकाल समाप्त होने को है तो बहुत दु:ख के साथ कहना पड़ रहा है कि कई मुद्दों पर पीछे रह गए। युवा पूछते हैं कि पार्षद रहते क्या किया? अब क्या उन्हें मैं नर्मदा जल योजना की कब्र दिखाऊं? जो समय बचा है, उसमें चौराहों का सौंदर्यीकरण कर दिया जाए, जिस तरह जनपद तिराहे पर दीनदयाल प्रतिमा लगाकर किया गया है। साथ ही ऑनलाइन बिल्डिंग परमिशन में भी सुधार लाया जाए।
– पार्षद सोमनाथ काले ने पूछा कि विश्वा कंपनी का भविष्य क्या है? महापौर सुभाष कोठारी ने जवाब दिया और कहा कि एग्रीमेंट को देखते हुए निगम हित के साथ शासन स्तर पर इस पूरे मामले को रखा है। भविष्य के बारे में तो मैं नहीं बता सकता हूं, क्योंकि मैं भविष्य वक्ता नहीं हूं।
– पार्षद मेहमूद खान ने कहा कि विश्वा, विश्वा, विश्वा सुन-सुनकर हमारे कान पक गए हैं, अब इस विश्वासघाती को भगा दीजिए। गर्मी में कंपनी की दादागिरी इतनी बढ़ गई थी कि कलेक्टर को धारा-144 लगानी पड़ी। पार्षद नूरजहां बी ने कहा- काम नहीं हो रहे हैं, इस्तीफा दे दूंगी।
– पार्षद सुनील जैन ने कहा कि 5 साल इस परिषद मेंपानी-पानी करते हुए निकल गए। करीब 200 करोड़ रुपए खर्च कर चुके हैं। पिछली बार मैंने मुद्दा उठाया तो अगले दिन से ही मेरे वार्ड में पानी आने लगा। ये तो वो कहावत चरितार्थ होने जैसा है कि बोलते के बैर भी बिक जाते हैं।
निगमाध्यक्ष शर्मा को गुस्सा आ गया। पार्षद तारा शर्मा ने सांची पाइंट व ट्रांसफार्मर हटाए जाने को लेकर सवाल किया। प्रभारी राजस्व अधिकारी अशोक तारे ने कहा- तत्कालीन आयुक्त के कहने पर कार्रवाई हुई। अध्यक्ष बोले-गोलमोल जवाब मत देना, आपकी कार्यशैली विवादित है। इस पूरे मुद्दे पर निगमायुक्त हिमांशु सिंह को भी गुस्से में कहा- शहरहित में नए बस स्टैंड का निर्माण हुआ। वहां जिसकी जमीन ली, उसे मप्र सरकार से जमीन अलॉट हो गई है और उस जमीन को अतिक्रमण रहित देना नियमों के अंतर्गत आता है। तब कलेक्टर ने प्रस्ताव तैयार किया था और तत्कालीन परिषद ने स्वीकृति दी थी। ट्रांसफार्मर तो हटाना पड़ेगा। इस मुद्दे पर आपत्ति आई तो फिर गुस्से में निगमायुक्त ने इंजीनियर भूपेंद्र सिंह बिसेन से कहा- सुनो, मत करो इसे।
अवैध कॉलोनियां: 26 को पूर्णता प्रमाण-पत्र दिया गया है। एमआइसी सदस्य शर्मा ने कहा- 5 वर्षों का प्रावधान है तो 2-3 साल में क्यों दे दिए? आंतरिक-बाह्य विकास निगम ने क्यों किया? कॉलोनाइजरों को फायदा क्यों दिया? अब जिनके बंधक प्लॉट हैं, उन्हें नोटिस दें। भविष्य में सदन की अनुमति से ही बंधक प्लॉट छोड़े व पूर्णता प्रमाण पत्र दें। अध्यक्ष ने कहा- अब तक के प्रकरण शासन को भेजेंगे।
सड़कों का सुधार: डामरीकरण मामले में संबंधित ठेकेदार की सिक्योरिटी डिपॉजिट व परफॉर्मेंस गारंटी रिलीज नहीं करने की बात उठी। एमआइसी सदस्य रियाज मार्शल ने बचाव की कोशिश की तो अध्यक्ष ने कहा- पिछली बार जब 15 दिन में सुधार का निर्णय लिया था तो सक्रिंयता क्यों नहीं दिखाई? दिक्कत है तो एमआइसी में शिकायत करो। अब अगले 15 दिन में सुधार कराने का निर्णय लिया।
बजट में फर्जी आंकडें: विभागीय समितियों में बजट पर चर्चा ही नहीं हुई और आंकड़ें दे दिए गए। सदन में चर्चा हुई। सामने आया कि 2017-18 में ठोस अपशिष्ठ प्रबंधन मद में शून्य बजट है, जबकि करोड़ों रुपए आए। बस स्टैंड पर जो राशि वसूलते हैं वो 3.24 लाख है, वहां दो कर्मचारियों पर खर्च 7.20 लाख रुपए होता है।
सोसायटी को दुकान पर हंगामा: दूधतलाई क्षेत्र में रखे गए टप में कड़कनाथ से जुड़ी सोसायटी को दुकान देने पर हंगामा हुआ। प्रभारी राजस्व अधिकारी तारे ने कहा कि कलेक्टर के आदेश पर दी थी तो सदन में कहा कि इसकी जांच के लिए लिखा जाए। आयुक्त सिंह ने कहा- मुझे अभी पता चला है। पहले परीक्षण करा लें, फिर निर्णय लेंगे।