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खंडवा

नागलवाड़ी शिखरधाम भिलटदेव मंदिर में उमड़ा आस्था का सैलाब

दो दिन में पांच लाख भक्त करेंगे दर्शन, रविवार रात 12 बजे पट खुले, 63 घंटे तक होंगे दर्शन, सोमवार को नागपंचमी और मंगलवार को भिलटदेव का विशेष दिन

खंडवाAug 05, 2019 / 04:26 am

राजीव जैन

Nag Panchami Mela Nagalwadi Bhilat Baba Shikhardham Darshan Badwani

Nag Panchami Mela Nagalwadi Bhilat Baba Shikhardham Darshan Badwani

खंडवा. सतपुड़ा की सुरमई वादियों में बसे प्रसिद्ध नागतीर्थ नागलवाड़ी शिखरधाम भिलटदेव मंदिर में सोमवार से आस्था का सैलाब उमड़ेगा। नागपंचमी पर दो दिवसीय मेले की शुरुआत सोमवार से होगी। दो दिवसीय मेले में मप्र, महाराष्ट्र और गुजरात के पांच लाख भक्त दर्शन के लिए आते हैं। मेले के लिए मंदिर समिति और प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी है। सावन माह में नागपंचमी पर सतपुड़़ा की हरी भरी वादियों में विराजित श्री भिलट देव संस्थान की ओर से गांव व जिला प्रशासन के सहयोग से श्री भिलट देव का दो दिवसीय मेला आयोजित किया जा रहा है। नागपंचमी पर्व को लेकर रविवार रात 12 बजे से मंदिर के पट खोल दिए गए, जो मंगलवार रात 12 बजे तक खुले रहेंगे। सुरक्षा के लिहाज से बड़वानी जिला प्रशासन ने रविवार दोपहर 3 बजे से दो-पहिया और चार-पहिया वाहनों का ऊपर मंदिर तक जाने पर रोक लगा दी थी। नागपंचमी पर्व को लेकर 800 स्वयंसेवक मंदिर समिति के कार्य में लगाए गए हैं। 350 पुलिसकर्मियों ने सुरक्षा व्यवस्था संभाली है।
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Nagalwadi IMAGE CREDIT: patrika
ये हुए कार्यक्रम
श्री भिलट देव संस्थान एवं ग्राम पंचायत नागलवाड़ी तहसील राजपुर जिला बड़वानी मध्यप्रदेश की ओर से रविवार रात 12 बजे बाबा का दूध-पंचामृत से अभिषेक किया गया। वहीं, रात 1.30 बजे बाबा का सोलह शृंगार हुआ। रात 3 बजे 108 व्यंजनों का भोग लगाया गया। सोमवार सुबह चार बजे महाआरती होगी। इस बार श्रावण मास का तीसरा सोमवार और नागपंचमी पर्व एक साथ होने से इसका महत्व बढ़ गया। दो दिवसीय मेला मंगलवार तक जारी रहेगा।
ऐसे पहुंचे शिखरधाम
प्रतिवर्ष नागपंचमी पर लाखों दर्शन आरती दर्शन करते हैं। यहां 12 माह आवागमन के साधन उपलब्ध है। महाराष्ट्र के धूलिया, इंदौर, खंडवा, खरगोन से आसानी से नागलवाड़ी शिखरधाम आया जा सकता है। खरगोन से नागलवाड़ी की दूरी 50 किमी, सेगांव से 18 किमी, बड़वानी से 74 किमी और सेंधवा से 27 किमी की दूरी है।
Nag Panchami Mela Nagalwadi Bhilat Baba Shikhardham Darshan Badwani
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हस्त नक्षत्र रवि, सिद्ध योग में मनाई जाएगी नाग पंचमी
श्रावण शुक्ल पंचमी सोमवार को नागपंचमी पर संजीवनी महायोग बन रहा है। ये योग 4 साल बाद पुन: बनेगा , नागदेव शिवजी के आभूषण हैं। सोमवार शिव का प्रिय दिन है। इसके बाद 21 अगस्त 2023 को ऐसा संयोग नागपंचमी पर आएगा। सावन सोमवार और नागपंचमी के संयोग को संजीवनी महायोग कहा है। इसमें हस्त नक्षत्र रवि, सिद्ध योग इस बार है ,जिसमे नाग देवता की पूजा करना विशेष फ़लदायी है बहुत कम बार बनता है ऐसा योग, अगला योग 21 अगस्त 2023 को आएगा। सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागदेव का पूजन करने की परंपरा है। नाग पंचमी पर सोमवार का संयोग अरिष्ट योग की शांति के लिए विशेष संयोग माना जाता है। इस दिन शिव का रुद्राभिषेक पूजन और कालसर्प दोष का पूजन का शुभ योग माना जाता है। श्रावण में पूजन अभिषेक करने से ग्रहों की शांति होती है ,और हमारे रुके हुए कार्य भी पूर्ण हो जाते है।
क्या करें — नाग पूजन में हल्दी का उपयोग करें
नागदेव की पूजा में हल्दी का प्रयोग अवश्य करें। धूप, दीप अगरबत्ती से पूजन करें एवं देवताओं के समान ही मीठा भोग प्रतीक रूप से लगाएं एवं नारियल अर्पण करें। कई लोग इस दिन कालसर्प का पूजन करते है। यह आवश्यक नहीं कि पूजन नाग पंचमी को ही किया जाए। कालसर्प राहु-केतु जनित दोष है। राहु का मुख सर्प समान होने से इसको सर्प दोष कहते हैं।
नाग की प्रतिमा का पूजन करें, जीवित का नहीं
सपेरे के पकड़े गए नाग का पूजन करने से बचना चाहिए। नाग का पूजन सदैव नाग मंदिर में ही करना श्रेष्ठ रहता है। नागपंचमी के दिन सपेरे नाग को पकडकऱ उनके दांतों को तोड़ देते हैं। इससे वह शिकार करने लायक नहीं रहता। उसे भूखा रखा जाता है। भूखा सांप दूध को पानी समझकर पीता है। सांप जो पानी पीता है, उससे पहले से बने घाव में मवाद बन जाता है और बाद में भूख से मर जाता है। नाग शाकाहारी प्राणी नहीं है, वह दूध नहीं पीता।
गरुड़ पुराण के अनुसार ग्रहों के प्रतीक हैं सांप
अनन्त नाग- सूर्य, वासुकि- सोम, तक्षक- मंगल, कर्कोटक- बुध, पद्म- गुरु, महापद्म- शुक्र, कुलिक एवं शंखपाल- शनैश्चर ग्रह के रूप हैं। आद्र्रा, अश्लेषा, मघा, भरणी, कृत्तिका, विशाखा, पूर्वा फाल्गुनी, पूर्वाभाद्रपद, पूर्वाषाढ़ा, मूल, स्वाति शतभिषा के अलावा अष्टमी, दशमी, चतुर्दशी अमावस्या तिथियों को सांप का काटना ठीक नही माना जाता। गरुड़ पुराण के अनुसार सांप के काटे से हुई मृत्यु से अधोगति की प्राप्ति होती है।

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