मिली जानकारी के अनुसार, वसीम तिगाले और उनकी पत्नी इससे पहले 2015 में भी शादी के तुरंत बाद तलाक हुआ था। हालांकि, परिवार वालों के समझाने के बाद उन दोनों ने फिर शादी कि थी लेकिन एक बार फिर दोनों के बीच में मनमुटाव बढ़ने लगा और पत्नी मायके चली गई। अब लगातार तीन महीने में 3 बार डाक के जरिए तलाक लिखकर उसने अपनी पत्नी को तलाक देने की कोशिश की लेकिन इस बार पत्नी पुलिस थाने पहुंच गई। खंडवा पुलिस ने इस मामले में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 की धारा 4 के तहत मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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खंडवा के बड़वानी नगर के मौलाना आजाद मार्ग पर रहने दंपत्ति की साल 2015 में शादी के कुछ समय बाद से ही रिश्ते ठीक नहीं चल रहे थे, जिसके चलते दोनों के बीच बार-बार झगड़े होते थे। जिसके चलते कुछ समय बाद इनका तलाक हो गया था। हालांकि, परिवार वालों के समझाने और आपसी समझौते के बाद दोनों ने दोबारा शादी तो कर ली लेकिन कुछ समय बाद फिर दोनों के बीच मनभेद होना शुरू हो गया। इससे तंग आकर पत्नी अपने खंडवा में ही स्थित अपने मायके चली और 2 साल से वह वही रह रही थी। कुछ समय बाद पत्नी ने पुलिस में जाकर रिपोर्ट की कि उसके पति ने उसे पहले प्रताड़ित किया और अब उसने पत्र के जरिए तीन महीने में डाक के जरिए तीन बार तलाक लिखकर मुझे भेजा और मुझे तलाक दे दिया। पत्नी ने आरोप लगाया कि पति अब उसे पत्नी माननेसे भी इंकार कर रहा है।
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वहीं, पति वसीम तगाले ने भी अपनी पत्नी आरोप लगाते हुए कहा कि उसने एक साथ तीन बार तलाक बोलकर (तलाक ए-बिद्दत) तलाक नहीं दिया है, जो गैर कानूनी है। बल्कि उसने नियमानुसार मुस्लिम कानून के तहत तलाक ए-हसन की प्रक्रिया के तहत तीन महीने में डाक के जरिए एक-एक कर तीन पत्र भेजकर तलाक दिया है। वसीम ने कहा कि वह 2019 से ही अपनी पत्नी से परेशान है और उसकी पत्नी उससे पैसे की मांग कर रही थी। जब उसने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो उसकी पत्नी उसे झूठे केस में फंसा रही है।
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खंडवा पुलिस ने बताया कि साल 2015 में जब इस दंपत्ति का तलाक हुआ था तब महिला ने बड़वानी थाने में दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया था। बाद में आपसी समझौते के बाद दोनों ने दोबारा शादी कर ली थी। हालांकि, अब फिर से उसके पति ने तलाक का कागज भेज दिया है। इस मामले में मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 की धारा 4 के तहत वासिम पर मामला दर्ज किया गया है और इसकी जांच जारी है।
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साल 2019 में तीन तलाक की प्रथा को रोकने के लिए मोदी सरकार ने यह मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम लागू किया था। इस अधिनियम के अनुसार, किसी मुस्लिम पति द्वारा अपनी पत्नी को मौखिक या लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक रूप में या किसी भी अन्य तरीके से तलाक देना अमान्य और अवैध होगा। इसका उल्लंघन करने पर धारा 3 के तहत पति को तीन वर्ष तक के कारावास से दंडित किया जाएगा और जुर्माना भी देना होगा।