scriptमप्र : खंडवा में सिंचाई परियोजनाओं ने किसानों के खोल दिए भाग्य, हर साल 5 हजार करोड़ का उत्पादन | MP: Irrigation projects in Khandwa have opened the fortunes of farmers, production of 5000 crores every year with the fourth crop | Patrika News
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मप्र : खंडवा में सिंचाई परियोजनाओं ने किसानों के खोल दिए भाग्य, हर साल 5 हजार करोड़ का उत्पादन

खंडवा में हर साल सोयाबीन, कपास, गेहूं चना, मूंग और प्याज की फसलों के साथ उद्यानिकी का बढ़ रहा रकबा, समूह की महिलाओं ने कुसुम की खेती शुरू की है

खंडवाSep 25, 2024 / 12:27 pm

Rajesh Patel

Agriculture, Horticulture

खंडवा : पानी की सुविधा मिलने से जंगली क्षेत्र में समूह की महिलाओं ने शुरु की कुसुम की खेती

खंडवा में सिंचाई परियोजनाओं ने किसानों के भाग्य खोल दिए। सोयाबीन, कपास, गेहूं चना, मूंग और प्याज की फसलों के साथ उद्यानिकी का रकबा हर साल बढ़ रहा है। किसान अब चौथी फसल के साथ हर साल पांच हजार करोड़ कीमत का अनाज उत्पादन कर रहे हैं। अधिकतर किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर नकदी फसलें किसानों को समृद्ध कर रही हैं।
2.10 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, 1.95 में गेहूं की बोवनी

जिले में 3. 44 लाख हेक्टेयर भूमि खेती योग्य है। इसमें 2.60 लाख सिंचित और 44 हजार हेक्टेयर असिंचित। 2.10 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, 1.95 लाख हेक्टेयर में गेहूं उत्पादन होता है। 75 हजार हेक्टेयर में चना और 33 हजार हेक्टेयर में मूंग की बोवनी हो रही है। 50000 हेक्टेयर में कपास की खेती होने लगी है। प्याज की खेती हर साल बढ़ रही है। इसके अलावा 38 हजार 198 हेक्टेयर से अधिक उद्यानिकी फसलों की बोवनी हो रही है।
ऐसे समझें करोड़ों का उत्पादन

सोयाबीन 2.10 लाख हेक्टेयर में उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10-12 क्विंटल, 10 क्विंटल की औसत से 21 लाख क्विंटल उत्पादन है। समर्थन मूल्य 4500 रुपए की दर से 945 करोड़ रुपए कीमत होती है। गेहूं का रकबा 1.95 लाख हेक्टेयर, 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 68 लाख 25 हजार क्विंटल उत्पादन है। समर्थन मूल्य 2400 रुपए की दर से 1638 करोड़ रुपए भाव होता। इसी तरह अन्य फसलों से आय हो रही है।
परियोजनाओं से खेतों में लहलहा रहीं फसलें

जावर माईक्रो सिंचाई परियोजना से खंडवा तहसील के 50 ग्राम, हरसूद तहसील के 2 ग्राम को मिलाकर 52 ग्रामों की 26000 हेक्टेयर क्षेत्र में माइक्रो पद्धति सिंचाई होगी। इस परियोजना से 20,706 किसान लाभान्वित होंगे। इस परियोजना की लागत 432.81 करोड़ रुपए है। इसी तरह पुनासा, हरसूद, बलड़ी, छैगांव माखन समेत अन्य क्षेत्र में परियोजनाएं लगी हैं।
आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहा किसान

पहले प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर होते थे। कुंएं, तालाब सूखने के कारण दिक्कत होती थी। अब पानी के संसाधन बढ़े हैं। किसान तीन फसलों के साथ चौथी फसल ले रहे। सोयाबी, कपास, प्याज, गेहूं, चना, मूंग के साथ सब्जियों की खेती कर रहे। पॉली हाउस के साथ ही आधुनिक उपकरणों का उपयोग कर खेती से मुनाफा कमा रहे हैं।
सुभाष पटेल, किसान नेता, भारतीय किसान संघ

उत्पादन के साथ किसानों की आय में हो रही वृद्धि

पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई है। ड्रिप, मिनी स्प्रिंगलर, रेनगन आदि का उपयोग सिंचाई के लिए करें। कुछ किसानों ने चौथी फसल लेना शुरू की है। कम पानी में अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। आधुनिक उपकरणों के उपयोग से किसानों की आय में वृद्धि के साथ फसलों का उत्पादन बढ़ रहा है।
केसी वास्कले, डीडीए, एग्रीकल्चर

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