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CG News: 56 अधिकारी व कर्मचारी रिश्वत लेते गिरफ्तार, ACB की टीम ने वर्ष 2024 में की कड़ी कार्रवाई, देखें List वन विभाग के इस बड़े भ्रष्टाचार व अनियमितता की कलई व पोल खोलते हुए प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव आकाश केशरवानी ने बताया कि शासन ने विधानसभा कवर्धा अंतर्गत विकासखण्ड बोड़ला के वन परिक्षेत्र खारा के तीन मार्गों में कुल 16 नग रपटा निर्माण के लिए प्रति रपटा करीब 7 से 8 लाख रूपए की राशि स्वीकृत कर निर्माण कार्य का जिम्मा वन विभाग को दिया था, जिसमें ग्राम बोदा 47 से करमंदा-भुतहा से कोयलारी मार्ग में 6 और ग्राम बोदा 47 से मोतिमपुर मार्ग में 6, बोदा 47 से गर्रा जाने वाले मार्ग पर गोठान से लेकर जोगीगुफा के नीचे कुल चार रपटा का निर्माण
वन विभाग द्वारा कराया गया है। कार्य एजेंसी वन विभाग ने ग्राम बोदा 47 से करमंदा-भुतहा से कोयलारी मार्ग में 6 और बोदा 47 से मोतिमपुर मार्ग में 6 रपटा का निर्माण तो बकायदा वर्क आर्डर जारी कर किया है, लेकिन जहां तक बोदा 47 से गर्रा जाने वाले मार्ग पर गोठान से लेकर जोगीगुफा में निर्मित कराए गए रपटा की बात की जाए तो इनका निर्माण बगैर वर्क आर्डर के ही पूरा कर दिया गया है।
वहीं इन रपटा का निर्माण घनघोर जंगल के बीच ऐसे स्थानों पर किया गया है, जहां इनका न कोई उपयोग है और न ही कोई औचित्य है। आकाश केशरवानी ने आरोप लगाते हुए कहा कि वन विभाग के वन मण्डलाधिकारी, क्षेत्र के एसडीओ और रेंजर ने मिली भगत कर इन रपटा निर्माण कार्यो में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार करते हुए सिर्फ और सिर्फ अपनी तिजौरियां भरी है। एक तो रपटा निर्माण कार्य बगैर वर्क आर्डर के कराया गया है और उस पर भी सभी रपटा निर्माण कार्य में भारी अनियमितता बरतते हुए रपटा निर्माण की सिर्फ औपचारिकता पूरी की गई है।
आकाश केशरवानी ने प्रदेश के उप मुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा पर भी आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश के मंत्री होने के नाते अपने विधानसभा क्षेत्र में शासन द्वारा करोड़ों के विभिन्न विकास व निर्माण कार्यों की स्वीकृति तो करा रहे हैं, लेकिन उन्हें ये देखने की फुर्सत नहीं है कि इन स्वीकृत विकास व निर्माण कार्यों का निर्माण किस मंशा से विभाग के अधिकारी और उनके ठेकेदार कर रहे है? क्षेत्र की जनता की सुविधा और सहूलियत के नाम से स्वीकृत कराए जा रहे ये कार्य क्या वास्तव में लोगों के लिए उपयोगी हैं या सिर्फ इनके नाम पर भ्रष्टाचार किया जा रहा है यह देखने और सुनने वाला भी कोई नहीं है। ऐसे में इस बात की भी आशंका जताई है कि कहीं ऊपर से नीचे तक दाल में कुछ काला तो नहीं है। शासन प्रशासन से वन विभाग द्वारा कराए गए इन तमाम रपटा निर्माण कार्यो की निष्पक्ष जांच कराए जाने और दोषियों के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
हद तो ये है कि वन विभाग के इस निर्माण कार्य में काम करने वाले मजदूरों को निर्माण कार्य पूर्ण होने के महिनों बाद भी मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया है। जबकि इस संबंध में मजदूर 16 अक्टूबर को डीएफओ को अपनी मांग व समस्या से संबंधित ज्ञापन भी सौंप चुके हैं। वहीं दो जनवरी को भी इन मजदूरों द्वारा बकायदा कवर्धा आकर डीएफओ से गुहार लगाई जा चुकी है। लेकिन दुर्भागय का विषय है कि इन मजदूरों से न तो डीएफओ मिले और न ही उन्हें आज पर्यंत तक उनकी खून पसीने से कमाई गई मजदूरी का भुगतान नहीं हो पाया है। ऐसे में समझा जा सकता है कि कवर्धा में स्वीकृत किए जा रहे विकास व निर्माण कार्यों की वास्तविक मंशा क्या है।
बाहरी ठेकेदार से कराया निर्माण
वन विभाग ने वन परिक्षेत्र खारा में निर्मित कराए गए रपटा का निर्माण में विभागीय व शासकीय नियम व प्रावधानों की भी जमकर अनदेखी की है। नियमानुसार विभाग को इन निर्माण कार्यों के लिए निर्माण सामग्री क्रय कर स्थानीय मजदूरों से निर्माण कार्य कराना था। ताकि उन्हें रोजी रोजगार उपलब्ध हो .सके। लेकिन विभाग द्वारा निर्माण कार्यो का ठेका बिलासपुर के किसी ठेकेदार को दिया था। जिसके द्वारा विभागीय अधिकारियों के साथ मिलकर निर्माण कार्य में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार करते हुए रपट निर्माण के नाम पर सिर्फ लीपापोती की है और अपनी तिजोरियां भरी हैं। इस बात की आशंका इस बात से भी जाहिर हो रही है कि विभाग जनसूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर गोलमोल जवाब दे रहा है।